कोलकाता, 14 अप्रैल (हि.स.)। नदिया जिले की राणाघाट दक्षिण सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मुकुटमणि अधिकारी वामपंथी परिवार में पले बढ़े होने के बावजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बेहद प्रभावित हैं। उनका मानना है कि संघ की विचारधारा ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी है।
मतुआ समाज से ताल्लुक रखने वाले अधिकारी पेशे से चिकित्सक हैं और अखिल भारतीय मतुआ महासंघ के नदिया (दक्षिण) जिलाध्यक्ष भी हैं। मुकुटमणि अधिकारी से आज हिन्दुस्थान समाचार ने विशेष बातचीत की। अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में अधिकारी ने बताया कि उनके दादा वामपंथी विचारधारा से जुड़े थे। उनके पिता भी उसी राह पर चले। पिता कवि होने के साथ लोक कलाकार भी थे। नदिया जिले के मजादिया गांव में उनका जन्म हुआ और स्थानीय स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा ली। बाद में एसएसकेएम से एमबीबीएस की डिग्री लेकर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सेवा से जुड़ गये। अधिकारी बताते हैं कि छात्र जीवन में वह भी एसएफआई से जुड़ गए थे लेकिन धीरे-धीरे उनका झुकाव हिंदुत्व और संघ की विचारधारा की तरफ हुआ। 31 वर्षीय अधिकारी अविवाहित हैं।
दरअसल, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी उन्हें राणाघाट सीट से उम्मीदवार बनाना चाहती थी, लेकिन सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने की जटिलताओं की वजह से अधिकारी चुनाव नहीं लड़ सके। इन्हीं जटिलताओं के बीच दो साल बाद पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारा है। मुकुटमणि की जगह उनके पिता को उम्मीदवार बनाने की अटकलें लग रही थीं लेकिन मुकुटमणि ने स्वयं नामांकनपत्र दाखिल कर दिया है। उन्होंने दावा किया है कि इस बार उनकी उम्मीदवारी में किसी प्रकार की वैधानिक रुकावट नहीं है। वर्ष 2018 में हांसखाली के बातकुल्ला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक के तौर पर अपने कर्म जीवन की शुरुआत करने वाले मुकुट मणि बताते हैं कि उनकी नियुक्ति अस्थाई तौर पर हुई थी। चार-पांच सालों बाद स्थायी होने की बात थी। ऐसे में मेरे इस्तीफे को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। गत फरवरी में स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल मेरा इस्तीफा स्वीकार कर चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ कुचक्री लोग मेरे संबंध में जानबूझकर अफवाह फैला रहे हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि ऐसे लोगों में कुछ अपने लोग भी शामिल हैं।
मतुआ समाज का मिल रहा आशीर्वाद
भाजपा उम्मीदवार ने दावा किया कि उनकी जीत सुनिश्चित है। उनका कहना है कि मतुआ समुदाय का 70 प्रतिशत वोट उन्हीं को मिलेगा। मुकुटमणि ने तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के चुनाव हारने की भविष्यवाणी करते हुए कहा कि भाजपा 180 सीटें जीतकर बंगाल की सत्ता पर काबिज होने जा रही है। उन्होंने बताया कि राणाघाट दक्षिण में कई हिंदूवादी संगठन सक्रिय हैं और चुनाव में भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। मतुआ वोट बैंक का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यहां लगभग 65 प्रतिशत मतदाता मतुआ संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं। उन सब का आशीर्वाद मुझे प्राप्त है। इसके साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाता भी उनमें भरोसा जता रहे हैं और उनका वोट भी भाजपा को ही मिलेगा।
मुकुटमणि का स्थानीय सांसद से मनमुटाव की अटकलें
भारतीय जनता पार्टी की मतुआ समाज को लेकर गठित कई कमेटियों में शामिल मुकुट मणि का स्थानीय सांसद जगन्नाथ सरकार के साथ मनमुटाव की अटकलें लगती रही हैं। ऐसे में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की परंपरागत सीट रही राणाघाट दक्षिण सीट में कमल खिलाना मुकुट मणि के लिए बड़ी चुनौती है।
पिछले चुनावों के आंकड़े
पिछले चुनावों के आंकड़ों की बात करें तो 2011 के विधानसभा चुनाव में माकपा ने 51 प्रतिशत मत हासिल कर यहां से जीत दर्ज की थी, जबकि तृणमूल उम्मीदवार को 41 प्रतिशत मत मिले थे। 2016 में माकपा की रमा विश्वास 48 प्रतिशत मत लेकर विजयी रही थीं, जबकि तृणमूल के अबीर रंजन विश्वास को 40 प्रतिशत मत मिले थे। 2016 में यहां भाजपा को महज 8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। माकपा ने एक बार फिर यहां से रमा विश्वास को उम्मीदवार बनाया है जबकि तृणमूल ने नये उम्मीदवार बरनाली दे को टिकट दिया है।
उल्लेखनीय है कि राणाघाट दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में पांचवें चरण के तहत आगामी 17 अप्रैल को मतदान होगा।