रायबरेली, 13 अप्रैल(हि.स.)। पंचायत चुनाव में भी कई तरह के नज़ारे देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ चुनाव में एक दूसरे के प्रतिद्वंदी हैं, वहीं उसी के लिए वोट भी मांग रहे हैं। उम्मीदवार अपने ही विरोधियों के लिए वोट मांग रहे हैं और ख़ुद के हारने के लिए जोर लगाये हुए हैं।
ये उम्मीदवार अपने को जिताने के लिए नहीं बल्कि विरोधी को विजयी बनाने की अपील कर रहे हैं। यह इसलिये भी है क्योंकि उमीदवारों ने अपने कई ‘डमी’ चुनाव मैदान में उतार दिये हैं। इन ‘डमी’ उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित है, लेकिन यह प्रचार में नजर नहीं आते। इनकी परमीशन वाले वाहनों में अन्य उम्मीदवार ही प्रचार करते दिखाई पड़ते हैं। इसका सीधा लाभ गाड़ियों के परमीशन, मतदान में एजेंट बनने व प्रचार में भीड़ इकट्ठा करने में हो रहा है।
रायबरेली की लगभग हर सीट में इन ‘डमी’ उमीदवारों की काफ़ी संख्या है, जिसका असर यह है कि एक एक सीट पर दो दर्जन से भी ज्यादा उम्मीदवार हो गए हैं। बावजूद इसके असली उम्मीदवार तीन चार ही होते हैं। अपनी इस रणनीति से ‘सक्रिय’ उम्मीदवार खासा लाभ ले रहे हैं।
पत्नियां विरोधी पति के लिये मांग रही हैं वोट
चुनाव में ‘डमी’ उतारने की होड़ ऐसी है कि उम्मीदवारों ने अपनी पत्नियों को ही चुनाव मैदान में उतार दिया है। अब भले ही पति-पत्नी चुनाव में विरोधी हों, लेकिन पत्नियां अपने पति के लिए क्षेत्र में जाकर वोट मांग रही हैं।
रायबरेली की सताव प्रथम सीट से तो चार दम्पति आमने-सामने हैं। हालांकि यह अलग बात है कि कृष्णा देवी चुनाव में प्रतिद्वंदी पति शीलता प्रसाद के लिये ही वोट मांग रही हैं। नीतू लोगों से पति राजकिशोर को जिताने के लिये अपील कर रही हैं।
सताव प्रथम सीट से उम्मीदवार नेहा ख़ुद के लिये नहीं बल्कि पति प्रवीण को जिताने की अपील कर रही हैं जबकि वेदवती के प्रचार वाहन में पति सुरजन चौधरी के बैनर पोस्टर रखे है और वह उन्ही के प्रचार में जोर आजमाइश कर रही है। इस तरह के मामले अन्य सीटों पर भी है जहां इन उमीदवारों ने अपनी पत्नी व अन्य नजदीकियों को उम्मीदवार बना रखा है जिसके सहारे वह चुनावी लाभ उठाने की कोशिश में ‘सक्रिय’ हैं।