प्रवासी बच्चों और उनके परिवार के अधिकारों की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

नई दिल्ली, 13 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने देश में प्रवासी बच्चों और प्रवासी मज़दूरों के बच्चों के अधिकारों की रक्षा की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी राज्यों को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये निर्देश दिया।
चिल्ड्रन राइट्स ट्रस्ट और बाल अधिकार कार्यकर्ता नीना नायक ने दायर याचिका में प्रवासी बच्चों और उनके परिवार के अधिकारों की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना के संक्रमण को देखते हुए प्रवासी बच्चों और उनके परिवारों को भी संविधान की धारा 14, 15, 19, 21, 21ए, 39 और 47 के तहत अधिकार मिलने चाहिए। याचिका में मांग की गई है कि जहां प्रवासी मजदूर ज्यादा रहते हैं, वहां उनके बच्चों की सहायता के लिए केंद्र बनाया जाना चाहिए। इन सहायता केंद्रों के जरिये बच्चों को उनके स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और शिक्षा जैसी जरूरतें पूरी की जा सकती हैं।
याचिका में मांग की गई है कि गांवों के आंगनवाड़ी केंद्रों में प्रवासी मजदूरों और उनके बच्चों को मिड डे मील और मुफ्त राशन देने की व्यवस्था की जानी चाहिए। याचिका में मांग की गई है कि 14 साल तक के बच्चों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पीडीएस प्रणाली से पोषाहार दिया जाए। इसके अलावा याचिका में प्रवासी मजदूरों के बच्चों के टीकाकरण, उनका लगातार हेल्थ चेक-अप कराया जाना चाहिए।

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