पंचायत चुनाव : दलों के दलदल में फंसे समर्थित उम्मीदवार, नेताओं की निष्ठा पर तिरछी नजर

रजनीश पाण्डेय
रायबरेली, 11अप्रैल(हि.स.)। पंचायत चुनावों में जोर शोर से उतर रहे दल अब अपने ही दलदल में फंसे गए हैं। बागियों ने इनके समर्थित उम्मीदवारों को संकट में डाल रखा है और अब प्रदेश के बड़े नेता अब उन्हें समझाने बुझाने या कथित कार्रवाई का भय दिखा रहे हैं। हालांकि इन सबका कोई असर नहीं दिख रहा है। फिर भी संगठन की तिरछी नजर बागी ​प्रत्याशियों के साथ-साथ उन पदाधिकारियों, नेताओं, विधायकों व मंत्रियों पर है जो अप्रत्यक्ष रुप से समर्थन करते हुए दिखाई दे रहे हैं।  
  मज़ेदार बात यह है कि इन बागियों के पोस्टरों पर कैबिनेट मंत्री,एमएलसी से लेकर बड़े नेताओं की फ़ोटो लगी हुई हैं और वह भी इसपर खुलकर नही बोल रहे हैं।रायबरेली के जिला पंचायत चुनाव में सबसे ज्यादा तैयारी का दावा भाजपा ने किया था, इसके लिए पार्टी ने बूथ स्तर तक की रणनीति बनाई थी और जिलास्तर से लेकर प्रदेश के बड़े नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी। पार्टी ने सभी 52 समर्थित उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी, लेक़िन यह लिस्ट ही पार्टी के लिए मुसीबत बन गई। अपनों को समर्थन नहीं मिला तो पार्टी में अपनी धमक रखने वाले नेताओं ने अपने समर्थकों को ही चुनाव में उतार दिया। यह स्थिति कमोबेश हर सीट पर है।
  पार्टी के समर्थित उम्मीदवारों को अपने ही बड़े नेताओं के समर्थित पार्टी कार्यकर्ताओं से जूझना पड़ रहा है। कुछ बागी तो पार्टी संगठन के महत्वपूर्ण पद पर भी है।महराजगंज प्रथम में भाजपा के समर्थन से पूर्व विधायक राजाराम त्यागी लड़ रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ़ पार्टी के ही कई बागी हैं जिनमें एक तो बड़े नेता के समर्थित बताए जा रहे हैं और इनके पोस्टरों पर भाजपा नेताओं की फ़ोटो भी लगी हुई है।
 रोहनिया प्रथम में भी भाजपा समर्थित उम्मीदवार के खिलाफ पार्टी की पदाधिकारी चुनाव लड़ रही हैं। ऊंचाहार प्रथम और तृतीय से भी बागी चुनाव मैदान में हैं और उनके वाहन और पोस्टर पर कैबिनेट मंत्री की फ़ोटो लगी हुई है और वह जनता के बीच जाकर ख़ुद को मंत्री का समर्थित उम्मीदवार बता रहे हैं। बागियों से हलाकान उम्मीदवारों ने इसकी शिकायत प्रदेश के बड़ें नेताओं से की तो सब सक्रिय हुए और आनन-फानन में क्षेत्रीय महामंत्री त्रयम्बकेश्वर तिवारी रायबरेली पहुंचे और सभी से बातकर समर्थित उम्मीदवार को ही जिताने की अपील की।
 पार्टी के जिलाध्यक्ष रामदेव पाल भी बागियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की बात कही।बावजूद इसके इन सबका कोई असर बागियों पर नहीं है जनता के बीच भी भ्रम की स्थिति बन गई है और इनको समर्थन देने वाले बड़े नेता दल की निष्ठा से बेपरवाह होकर इन्हें जिताने की क़वायद में जुटे हैं। 
 इन चुनावों में बागियों से जूझ रही भाजपा अकेले नहीं है सपा और कांग्रेस,बसपा के समर्थित उम्मीदवारों के सामने भी यही संकट है। सपा ने 29 सीट पर अपने समर्थित उम्मीदवार उतारे हैं, महराजगंज सीट पर तो एक पूर्व विधायक के खिलाफ तो पार्टी के ही विधायक रहे वरिष्ठ नेता ने समर्थित बेटे को ही मैदान में उतार दिया, हालांकि उनका कहना है कि इसके लिए उन्होंने नेतृत्व से बात कर ली थी।
 बसपा के समर्थित उम्मीदवारों के खिलाफ़ भी कई सीटों पर बागी चुनाव लड़ रहे हैं।यही स्थिति कांग्रेस के लिए भी कई सीटों पर है। पार्टियों के बड़े नेताओं के समर्थन से लड़ रहे हैं, इन बागियों ने जनता के बीच भ्रम की स्थिति जरूर पैदा कर दी है और पार्टी के संगठन की कथित कार्रवाई और अपील का कोई असर नहीं हो रहा है। इन पार्टियों के समर्थन से चुनाव में उतरे उम्मीदवार जरूर परेशान हैं और जनता के बीच जाकर ख़ुद को दल का असली चेहरा बताने की कोशिश में है।

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