रुपहले पर्दे पर लगभग चार दशक तक राज करने वाले दिग्गज अभिनेता जितेन्द्र का जन्म 7 अप्रैल, 1942 को अमृतसर (पंजाब) में अमरनाथ और कृष्णा कपूर के घर हुआ, लेकिन जितेन्द्र की शिक्षा-दीक्षा मुंबई में हुई। जितेन्द्र का असली नाम रवि कपूर था, लेकिन फिल्मों में आने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल कर जितेन्द्र रख लिया। जितेन्द्र के पिता ज्वेलरी बनाने का कारोबार करते थे, जिसकी सप्लाई फिल्म जगत में होती थी। इसी सिलसिले में एक बार जितेन्द्र भी फिल्म इंडस्ट्री गए। वहां निर्देशक वी शांताराम की नजर उन पर पड़ी। वह जितेन्द्र से काफी प्रभावित हुए और उन्हें अपनी फिल्म ‘नवरंग’ में लेने का फैसला लिया।
इस तरह से जितेन्द्र को महज 17 साल की उम्र में साल 1959 में अभिनय करने का पहला मौका मिला। हालांकि इस फिल्म में वह छोटी सी भूमिका में थे। साल 1959 में उन्हें फिर से वी शांताराम की फिल्म ‘गीत गाय पत्थरों’ में अभिनय करने का मौका मिला और इस बार वह फिल्म में मुख्य भूमिका में नजर आये। इस फिल्म से जितेंद्र अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे, लेकिन सफलता उन्हें साल 1967 में आई फिल्म ‘फर्ज’ से मिली। इस फिल्म का गाना ‘मस्त बहारों का मैं आशिक’ सुपरहिट हुआ। इसके बाद फिल्म ‘कारवां’ और ‘हमजोली’ जैसी फिल्मों में भी जितेन्द्र के डांस को काफी पसंद किया गया। उनके डांस के कारण उन्हें बॉलीवुड में ‘जंपिंग जैक’ नाम दिया गया।जितेन्द्र ने 60 के दशक में अपने फिल्मी करियर में कुल 121 हिट फिल्में दी, जो एक रिकॉर्ड है।
उन्होंने अपने जमाने में लगभग सभी मशहूर अभिनेत्रियों के साथ काम किया, लेकिन बड़े पर्दे पर उनकी जोड़ी सबसे ज्यादा श्रीदेवी और जया पर्दा के साथ पसंद की गई।जितेन्द्र ने हिंदी के अलावा तेलुगु और भोजपुरी की कई फिल्मों में भी काम किया है।उनकी प्रमुख फिल्मों में संजोग, औलाद, मवाली, हिम्मतवाला, परिचय, खुदगर्ज, हकीकत, धरम-वीर, द बर्निंग ट्रेन, हातिम ताई, कुछ तो है आदि शामिल हैं। जितेन्द्र ने एयर हॉटेस्ट शोभा कपूर से लम्बे रिलेशनशिप के बाद साल 1974 में शादी कर ली। शोभा कपूर निर्माता हैं।
जितेन्द्र और शोभा के दो बच्चे निर्माता-निर्देशक एकता कपूर और फिल्म अभिनेता-निर्माता तुषार कपूर हैं। जितेन्द्र लम्बे समय से फिल्मों से दूर है, लेकिन कई रियलिटी शो में गेस्ट की भूमिका में नजर आते हैं। जितेंद्र फिलहाल बालाजी टेलीफिल्म्स के चेयरमैन हैं। जितेंद्र के चाहनेवालों की संख्या आज भी लाखों में हैं। जितेन्द्र को फिल्म जगत में उनके सराहनीय योगदानों के लिए साल 2003 में फिल्म फेयर लाइफ टाइम अचीवेमेंट अवार्ड और साल 2006 में स्क्रीन लाइफ टाइम अचीवेमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।