कानपुर : आजादी के दीवानों की याद में आज खेला जाएगा रंग

कानपुर, 02 अप्रैल (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगरी कानपुर में आज ऐतिहासिक ‘गंगा मेला’ मनाया जाएगा। इसके मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने पहले से ही हटिया कमेटी के साथ बैठक कर पूरा इंतजाम कर लिया है। पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने सभी पुलिस के अधिकारियों को सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद रखने के निर्देश दिए हैं।  
अनुराधा नक्षत्र पर रंगों से सराबोर होता है कानपुरहटिया होली कमेटी के संरक्षक मूलचंद सेठ बताते हैं कि देश की आजादी से पहले हटिया शहर का हृदय हुआ करता था। यहां पर लोहा, कपड़ा और गल्ले का व्यापार होता था। व्यापारियों के यहां आजादी के दीवानें और क्रांतिकारी डेरा जमाते और आंदोलन की रणनीति बनाते थे। तब के समय में गुलाब चंद सेठ हटिया के बड़े व्यापारी हुआ करते थे, जो होली पर बड़ा आयोजन करते थे। 1942 में होली के दिन अंग्रेज अधिकारी घोड़े पर सवार होकर आए और रंग खेल रहे नौजवानों को होली बंद करने को कहा तो गुलाब चंद सेठ ने साफ मना कर दिया। इस पर रंग खेल रहे नौजवानों ने हटिया पार्क पर तिरंगा झण्डा फहराकर आजादी का बिगुल फूंक दिया। गुस्साए अंग्रेज अधिकारियों ने नौजवानों को पीटकर तिरंगा झण्डा उतरवाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी का विरोध करने पर जागेश्वर त्रिवेदी, पं. मुंशीराम शर्मा सोम, रघुबर दयाल, बालकृष्ण शर्मा नवीन, श्यामलाल गुप्त पार्षद, बुद्धूलाल मेहरोत्रा और हामिद खां सहित 40 लोगों को भी हुकूमत के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद सरसैया घाट स्थित जिला कारागार में बंद कर दिया गया था। 
पांच दिन बंद रहा शहर, जगह-जगह हुआ आंदोलनबताते हैं कि जब शहरवासियों को जानकारी हुई कि रंग खेलने पर अंग्रेजों ने कुछ लोगों को जेल में डाल दिया तो पूरा शहर भड़क उठा और पांच दिन शहर बंद कर दिया गया। इसके साथ ही जगह-जगह हो रहा आंदोलन आजादी का शक्ल लेने लगा। इसमें स्वतंत्रता सेनानी भी जुड़ गए और महात्मा गांधी, पंडित नेहरु, गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे लोगों ने भी सहयोग किया। पांच दिन के विरोध के बाद अंग्रेज अधिकारी घबरा गए और गिरफ्तार लोगों को छोड़ना पड़ा। 
यह रिहाई अनुराधा नक्षत्र के दिन हुई। होली के बाद अनुराधा नक्षत्र का दिन उत्सव का दिवस हो गया। जेल के बाहर भारी संख्या में लोगों ने एकत्र होकर खुशी मनाई और हटिया से रंग भरा ठेला निकाला गया और जमकर रंग खेला। शाम को गंगा किनारे सरसैया घाट पर मेला लगा। तब से कानपुर शहर इस परंपरा का निर्वाह कर रहा है। आज भी सरसैया घाट पर शाम को मेला लगता है।

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