वाराणसी, 27 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को चार दिवसीय ‘द इंडिया टॉय फेयर-2021’ का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने देशभर के खिलौना उद्योग से जुड़े कारीगरों और हस्तशिल्पियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संवाद किया। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कश्मीरीगंज खोजवा निवासी उद्यमी, हस्तशिल्पी रामेश्वर सिंह से संवाद में काशी और बाबा विश्वनाथ के प्रति अगाध प्रेम भी दिखाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बनारस का नाम आए और हर हर महादेव का नारा न लगे, ऐसा कैसे हो सकता है। इसके बाद उन्होंने रामेश्वर सिंह और बनारस के अन्य प्रतिभागियों के साथ खुद भी पूरे उत्साह के साथ हर-हर महादेव का नारा लगाया। संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने मास्क लगे हुए लकड़ी के खिलौने बनाए जाने पर विशेष जोर देते हुए कहा कि बच्चों की विशेषता होती है कि बच्चे और खिलौने एक दूसरे को देखते हैं। खिलौने की नकल बच्चे करते हैं। खिलौना बच्चों के जिंदगी का हिस्सा बन जाता है। खिलौने बच्चों के मस्तिष्क विकास में मनोवैज्ञानिक गतिविधि तथा ज्ञान की कुशलता बढ़ाने में मददगार होते हैं।
शिल्पियों से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री ने पूरे दुनिया में भारत के खिलौनों का डंका बजाने की खिलौना उद्योग से जुड़े लोगों से अपील की और इको फ्रेंडली खिलौना निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत बनाना है तो लोकल फॉर वोकल होना है। खिलौना उद्योग को वैश्विक हब बनाया जाएगा। भारत के खिलौना उद्योग में कितनी ताकत छिपी है। इसे बढ़ाना निर्भर भारत का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री ने कोरोना काल के दौरान मास्क वाला खिलौना (खिलौने के चेहरे पर लगा मास्क) बनाए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि वाराणसी में बेहतरीन हस्तकला संकुल भी है। खिलौना कारोबार को बढ़ावा देने के लिए सरकार से जो भी हो सकता है वह करेगी, कारोबारियों को विश्वास दिलाया।
उन्होंने ‘द इंडिया टॉय फेयर’ की चर्चा करते हुए कहा कि यह एक ऐसा मंच होने जा रहा है जहां पर खिलौना का डिजाइन, मार्केटिंग, पैकेजिंग तक की चर्चा-परिचर्चा के साथ ही आपसी अनुभव साझा होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों के चौमुखी विकास में भारतीय खिलौनों की अहम भूमिका है। भारतीय खिलौनें अन्य की अपेक्षा सस्ते होते हैं। इसके लिये उन्होंने वाराणसी के लकड़ी के खिलौने, लकड़ी के गुड़िया आदि का उदाहरण दिया। उन्होंने लकड़ी खिलौना कारोबारियों से खिलौना उत्पादन में प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करने व भविष्य में रिसाइकलिंग कर सके ऐसी सामग्री का इस्तेमाल करने की जोरदार अपील की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि खिलौना पीढ़ियों के विरासत के रूप में संजोए जाते हैं। एक खिलौना बच्चों को अनंत खुशियों की दुनिया में ले जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि साइंस के कितने ही सिद्धांत बच्चे खिलौने से खेलते व उन्हें बनाते हुए सीख जाते हैं। रचनात्मक खिलौने बच्चों को पंख देते हैं। उन्होंने अभिभावकों से भी अपील की कि जैसे वे बच्चों के पढ़ाई-लिखाई में अपनी सहभागिता करते हैं, उसी प्रकार बच्चों के खेलों में भी शामिल हो। खेल व गतिविधि आधारित शिक्षा को नई शिक्षा व्यवस्था में बड़े पैमाने पर शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि दुनिया में खिलौना के 100 बीलियन डॉलर के वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी काफी कम है। भारत में 85 फीसदी खिलौने विदेशों से आते हैं।
बताते चले ‘इंडिया टॉय फेयर 27 फरवरी से 2 मार्च, 2021 तक चलेगा। इसका उद्देश्य सतत लिंकेज बनाने तथा उद्योग के समग्र विकास पर विचार-विमर्श करने के लिए एक ही प्लेटफॉर्म पर खरीददारों, विक्रेताओं, विद्यार्थियों, शिक्षकों, डिजाइनरों आदि सहित सभी हितधारकों को लाना है। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरकार और उद्योग एक साथ विचार करेंगे कि कैसे भारत को खिलौना निर्माण और आउट सोर्सिंग का अगला वैश्विक हब बनाया जाए। ऐसा खिलौना क्षेत्र में निवेश आकर्षित करके तथा निर्यात बढ़ाकर किया जा सकता है। ई-कॉमर्स सक्षम वर्चुअल प्रदर्शनी में 30 राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के 1000 से अधिक एक्जीबिटर अपने उत्पाद दिखाएंगे। इसमें परंपरागत भारतीय खिलौनों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक टॉय, प्लस टॉय, पजल तथा गेम्स सहित आधुनिक खिलौने दिखाए जाएंगे। खिलौना मेला में खिलौना डिजाइन तथा उत्पादन के क्षेत्र में प्रसिद्ध भारतीय तथा अंतर्राष्ट्रीय वक्ता विचार-विमर्श करेंगे। बच्चों के लिए यह मेला पारंपरिक खिलौना बनाने में कौशल प्रदर्शन और खिलौना संग्रहालयों तथा फैक्ट्रियों का वर्चुअल विजिट सहित अनेक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर है।
इस अवसर पर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा संयुक्त आयुक्त उद्योग उमेश सिंह, उपायुक्त उद्योग आदि अधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।