आरबीआई और सेबी कर रही हैं टेकफिन कंपनियों को रेगुलेट, कोर्ट को दी जानकारी

नई दिल्ली, 29 जनवरी (हि.स.)। रिजर्व बैंक और सेबी ने कहा है कि वो वित्तीय क्षेत्र में फेसबुक, गूगल और अमेजन जैसी वित्तीय प्रौद्योगिकी (टेकफिन) कंपनियों को रेगुलेट कर रही है। रिजर्व बैंक और सेबी ने ये बातें दिल्ली हाईकोर्ट से कही। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। इस मामले पर अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि यूपीआई पर आपरेट करने की अनुमति नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एनसीपीआई) देती है। एनसीपीआई ने अमेजन, गूगल और व्हाट्स ऐप को मल्टी बैंक माडल की तर्ज पर थर्ड पार्टी ऐप की तरह काम करने की अनुमति दी है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि उसने कई नॉन बैंकिंग कंपनियों को प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (पीपीआई) की तरह काम करने की अनुमति दी है। अमेजन को 22 मार्च, 2017 को पीपीआई की तरह काम करने की अनुमति दी गई थी।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि तेजी से बढ़ती तकनीक के साथ ही गैर-पंजीकृत पेमेंट कंपनियों पर लोगों के पेमेंट मैसेजेज के जरिये यूजर्स की व्यक्तिगत सूचना रखने को लेकर चिंता जताई जा रही थी। उसके बाद रिजर्व बैंक ने सिस्टम प्रोवाईडर्स की ओर से एकत्र किए जा रहे डाटा पर नियंत्रण रखने के लिए 6 अप्रैल, 2018 में एक सर्कुलर जारी किया। इसके जरिये सभी सिस्टम प्रोवाईडर्स को यूजर्स का डाटा केवल भारत में ही संरक्षित रखने का आदेश दिया गया।

आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकीलों दीपक प्रकाश, सुभाष चंद्रन, नचिकेता वाजपेयी और दिव्यांना मलिक ने कोर्ट से प्रत्युत्तर देने के लिए समय देने की मांग की। उसके बाद कोर्ट ने 4 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अर्थशास्त्री डॉ. रेशमी पी भास्करन ने दायर याचिका में कहा है कि ये टेकफिन कंपनियां वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिये वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी हैं। याचिका में कहा गया है कि इन टेकफिन कंपनियों का संचालन काफी दोषपूर्ण है। इनके संचालन पर रेगुलेशन के लिए कोई नियम और कानून नहीं है। याचिका में दावा किया गया है कि इससे देश की वित्तीय स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

याचिका में कहा गया है कि वित्तीय क्षेत्र में टेकफिन संस्थाओं के अनियंत्रित संचालन से वित्तीय संकट उत्पन्न हो सकता है तथा व्यक्तिगत डेटा के साथ भी दुरुपयोग हो सकता है। याचिका में कहा गया है कि तकनीकी कंपनियों को वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने या नियामकों से पूर्व पंजीकरण या अनुमोदन के बिना किसी भी माध्यम से वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिये तुरंत नियम तैयार करने की आवश्यकता है।

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