भारत आने के लिए फ्रांस से उड़े तीन राफेल

​- इन विमानों को सीधे फ्रांस से गुजरात के जामनगर एयरबेस पर लाया जाएगा

  • ​यूएई ​में फ्रांसीसी टैंकर तीनों ​राफेल लड़ाकू विमानों ​को हवा में ही ईंधन देंगे

​​नई दिल्ली, 27 ​जनवरी (हि.स.)। लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही भारतीय वायु सेना ​के बेड़े में ​शामिल होने के लिए बुधवार को ​फ्रांस से तीसरे बैच में तीन और फाइटर जेट राफेल ​ने उड़ान भरी है। तीन विमानों का यह बैच आने के बाद ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों में जुटी ​​वायुसेना के पास 11 राफेल हो जाएंगे।​ ​​चीन के साथ सैन्य तनाव के बीच ​राफेल जेट ​की आपूर्ति से भारतीय वायुसेना की क्षमता को और बढ़ावा मिलेगा। भारतीय वायुसेना चीन के साथ लगी पूर्वी लद्दाख की सीमा पर किसी भी उकसावे से निपटने के लिए हाई अलर्ट पर है। ​​

फ्रांसीसी कम्पनी से पांच राफेल जेट का पहला जत्था 29 जुलाई को अबू धाबी के पास अल ढफरा एयरबेस में एक स्टॉपओवर के बाद अंबाला एयरबेस पहुंचा था। भारतीय वायुसेना ने औपचारिक रूप से इन फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में 10 सितम्बर को शामिल किया था। इसके बाद तीन राफेल फाइटर जेट्स का दूसरा बैच नवम्बर की शुरुआत में फ्रांस से सीधे गुजरात के जामनगर एयरबेस पर पहुंचा था। भारत ने इन फाइटर जेट्स को ​भी ​ऑपरेशनल करके चीन और पाकिस्तान के मोर्चों पर तैनात किया है।​ ​भारत सरकार ने फ्रांसीसी कम्पनी दा दसाल्ट से सितम्बर, 2016 में दो स्क्वाड्रन के बराबर यानी 36 राफेल विमानों के लिए 59 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया था। इन विमानों को सीधे फ्रांस से गुजरात के जामनगर एयरबेस पर लाया जाएगा। रास्ते में भारतीय और फ्रांसीसी टैंकरों से तीनों फाइटर जेट को ​संयुक्त अरब अमीरात​ में ​​हवा में ही ईंधन दिया जाएगा।
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पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के बीच राफेल फाइटर जेट की मिसाइल स्कैल्प को पहाड़ी इलाकों में अटैक करने के लिहाज से अपग्रेड किया जा रहा है। इसका सॉफ्टवेयर अपडेट करने के लिए निर्माता कंपनी एमबीडीए को वापस भेजा गया है ताकि इस सबसोनिक हथियार के जरिये समुद्र तल से 4,000 मीटर की ऊंचाई तक निशाना लगाया जा सके। हवा से सतह पर मार करने वाली 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक 450 किलोग्राम के वारहेड ले जाने वाली यह मिसाइल राफेल का हिस्सा है। वायुसेना को हर दो महीने में तीन से चार जेट्स फ्रांस से मिलेंगे। सभी 36 विमानों की आपूर्ति साल के अंत तक होने और इनके वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में शामिल होने की संभावना है। राफेल जेट्स की पहली स्क्वाड्रन अम्बाला एयरबेस में बनाई गई है जबकि दूसरी स्क्वाड्रन पूर्वी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पश्चिम बंगाल के हासीमारा में होगी।

​फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के राजनयिक सलाहकार इमैनुअल बोने इसी माह की शुरुआत में भारत के दौरे पर ​आये थे​।​ उन्होंने ​भारत में निवेश बढ़ाने के लिए​ फ्रांसीसी सरकार की ओर से पेशकश की है। फ्रांसीसी रक्षा कंपनी डसॉल्ट एविएशन ‘मेड इन इंडिया’ के तहत भारत में 100 से अधिक राफेल लड़ाकू जेट का निर्माण करना चाहती है लेकिन भारत 36 जेट विमानों की आपूर्ति होने के बाद इस बारे में निर्णय करेगा।

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