नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत का विजन डॉक्यूमेंट : निशंक

  • कुवैत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से किया संबोधित

नई दिल्ली, 22 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के नए भारत का ‘विज़न डॉक्यूमेंट’ है। उन्होंने कहा कि विश्व को भारत से उम्मीद है कि हम “टैलेंट और टेक्नोलॉजी” के माध्यम से दुनिया को बहुत कुछ दे सकते हैं।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री पोखरियाल ने आज कुवैत में भारतीय प्रवासी परिषद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर एक कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि यह नीति भारत को ज्ञान महाशक्ति एवं एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगी क्योंकि यह अतीत के साथ साथ भविष्य को भी जोड़ती है और यह समग्र एवं बहु-विषयक शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करती है। इस कार्यक्रम में कुवैत में भारतीय राजदूत सीबी जॉर्ज, भारतीय प्रवासी परिषद के संरक्षक वेणुगोपाल, अध्यक्ष एवं अधिवक्ता सुमोद, आयोजन सचिव विजय राघवन, उपाध्यक्ष बिनॉय सेबेस्तियन तथा संपत कुमार, उपाध्यक्ष (स्त्री शक्ति) रेम धनेश एवं महासचिव (स्त्री शक्ति) विद्या सुमोद भी जुड़े।

केंद्रीय मंत्री ने इस आयोजन पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि कुवैत में भारतीय प्रवासी परिषद में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संबंध में यह मीटिंग इस बात का सूचक है कि हमारे प्रवासी भारतीय, देश से दूर होकर भी भारत की मिट्टी और भारत की नीतियों से गहराई से जुड़े हुए हैं और यहां होने वाले हर घटनाक्रम के प्रति जागरूक है। निशंक ने कहा कि हमने सकारात्मक मानसिकता के साथ एक व्यापक चिंतन, मंथन एवं विमर्श के उपरांत राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया गया है। इस नीति में हर भारतीय की आकांक्षाएं हैं, स्वप्न है और एक दूरगामी सोच है जो हिंदुस्तान को विश्व पटल पर ‘ज्ञान शक्ति’ के रूप में स्थापित करेगा।

उन्होंने कहा, “इस नीति में वर्णित 5 आई (अर्थात इंडियन, इंटरनेशनल, इंटरैक्टिव, इनोवेटिव तथा इंपैक्टफुल) के तत्व इस नीति को ज्ञान आधारित-अर्थव्यवस्था के लिए सर्वथा उपयुक्त बनाते हैं और यह नीति न केवल 2030 के ‘एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ से जुड़ी हुई है, बल्कि इसका उद्देश्य ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के हमारे मूल सिद्धांतों के अनुसार, समतामूलक, समावेशी, बहु-सामाजिक एवं बहु-सांस्कृतिक समाज के निर्माण में लगे हुए, उत्पादक तथा बहुमूल्य योगदान करने वाले नागरिकों का निर्माण करना है।”

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से भारत शिक्षा जगत में आमूलचूल परिवर्तन के साथ वैश्विक पटल पर एक नई दस्तक दे रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सब भी अपने-अपने क्षेत्रों तथा अपनी विशेषज्ञता के साथ इस नीति के प्रति जागरूकता और क्रियान्वयन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में अपना सर्वस्व योगदान देंगे।

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