भाजपा सरकार असम में महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम : कांग्रेस

-2016 के बाद राज्य में महिला अपराध में तेजी से हुई वृद्धि : बोबिता शर्मा

गुवाहाटी, 18 जनवरी (हि.स.)। बेहद चिंता का विषय है कि पिछले कुछ वर्षों में असम में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इन अपराधों से राज्य की जनता कराह रही है। ये बातें सोमवार को प्रदेश कांग्रेस की महासचिव और मीडिया विभाग की अध्यक्ष बोबिता शर्मा ने असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के मुख्यालय राजीव भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहीं।

 इस मौके पर असम प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष व विधायिका नंदिता दास, एपीसीसी की महासचिव व विधायिका रोजलीना तिर्की, ऑल इंडिया महिला कांग्रेस कमेटी (एआईएमसी) की महासचिव बिस्मिता गोगोई, एआईएमसी सचिव जुरी बरदलै आदि भी मौजूद थीं। उल्लेखनीय है कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी सत्ताधारी पार्टी भाजपा को घेरने के लिए लगातार रणनीति को तेज करने में जुट गयी है।

बोबिता शर्मा ने  डिब्रूगढ़ जिला के टिंगखांग में 12 जनवरी को चाय जनजाति की किशोरी से दुष्कर्म और उसकी चाची की हत्या, गत वर्ष फरवरी में गोहपुर में नाबालिग बच्ची के साथ गैंग रेप और उसकी हत्या की घटनाओं का जिक्र किया। यही नहीं उन्होंने प्रशिक्षण ले रही महिला कांस्टेबल के साथ चीफ ड्रिल इंस्ट्रक्टर द्वारा रेप करने की घटना को भी उठाया।

उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं गृह मंत्रालय के अधीन आती हैं। विभाग का कामकाज न केवल महिलाओं के लिए बल्कि इस देश के कानून के लिए भी अपमानजनक है। जब रक्षक ही महिलाओं के खिलाफ अपराध करता है, तो सरकार अपने महिला नागरिकों को सुरक्षा कैसे सुनिश्चित कर सकती है? गृह विभाग के जरिए उन्होंने मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल पर निशाना साधा। 

वर्ष 2017 में बैठालांग्सू (कार्बी आंग्लांग में) 16 साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया था। इसी कड़ी में होजाई जिला के जमुनामुख पुलिस स्टेशन के तहत संगजुराई गाँव में देउरी प्राथमिक विद्यालय के एक 58 वर्षीय स्कूल शिक्षिका की हत्या ने राज्य को शर्मसार कर दिया। इसी तरह वर्ष 2018 में नगांव जिला के लालुंग गांव में एक नाबालिग चौथी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और आग लगा दी गई। ये तो उन्होंने कुछ घटनाओं का जिक्र किया है। पिछले पांच वर्षों में घटनाएं हुई हैं।

बोबीता शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार असम में महिलाओं के खिलाफ 2018 में कुल 166 मामले सामने आए थे। अपराध की दर औसतन 58.8 तक रही।

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि असम में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और 2016 में महिलाओं के खिलाफ पंजीकृत हिंसा की घटनाएं 20,869 थीं जो 2017 में बढ़कर 23,082 हो गईं और 2018 में 27,728 हो गईं। 2018 में देश में दो श्रेणियों में संयुक्त रूप से महिला अपराध के बलात्कार और हत्या के असम में 66 मामले दर्ज किए गए। असम में महिलाओं के खिलाफ 2018 में 295 मामलों के साथ साइबर अपराधों की सूची में सबसे ऊपर है।

2019 में असम में फिर से 177.8 प्रति लाख जनसंख्या पर महिलाओं के खिलाफ अपराध की उच्चतम दर दर्ज की गई। इस प्रकार लगातार तीन वर्षों में महिला अपराध के ग्राफ में वृद्धि हुई है। ये आंकडे़ इस बात की गवाही हैं कि सरकार और उसकी एजेंसियां ​​ऐसे अपराधों रोकने में विफल रही हैं।

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