नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए शिक्षण संस्थानों में गठित हों समितियां : अतुल कोठारी

  • दिल्ली विश्वविद्यालय कर चुका है 48 सदस्यीय समिति का गठन : कार्यकारी कुलपति

नई दिल्ली, 15 जनवरी (हि.स.)। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने नई शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन को सबसे अहम बताते हुए देश के सभी शिक्षण संस्थानों में क्रियान्वयन समितियों के गठन का सुझाव दिया है।

अतुल कोठारी शुक्रवार को यहां दिल्ली विश्वविद्यालय एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं इसके क्रियान्वयन को लेकर आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के लगभग 60 प्राचार्यों ने भाग लिया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति प्रो.पी.सी.जोशी जी ने कहा की हमने दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा नीति क्रियान्वयन की 48 सदस्यीय समिति का गठन किया है व आने वाले समय में हम अनेक कार्यक्रम भी इसके क्रियानव्यन को लेकर अपने विश्वविद्यालय में करने वाले हैं। उन्होंने कहा की शिक्षानीति के क्रियान्वयन में हम उन सभी शिक्षाविदों के विचारों को भी इसमें सम्मिलित करेंगे जो शिक्षा के क्षेत्र में नावाचार कर रहे हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ़ कोलेजेज प्रो. बलराम पाणी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में अपने विचार रखते हुए कहा की शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में भारतीय अवधारणा का ध्यान रखना चाहिए।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा की 150 वर्षों के बाद भारत की संस्कृति के अनुरूप शिक्षा नीति आई है। इसका उद्देश्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो विचारों से, कार्य व्यवहार से एवं बौद्धिकता से भारतीय बने। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए नीति में शिक्षा के अलग-अलग स्तरों पर सभी विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा, कला, संस्कृति एवं मूल्यों का समावेश की बात कही गयी है।

उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति से चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास होगा। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास अपने गठन से ही शिक्षा में बदलाव को लेकर पूरे देश में मुहिम चला रहा था। शिक्षा में बदलाव से राष्ट्रीयता के भाव के साथ ही छात्रों के व्यक्तित्व का समग्र विकास होगा। इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन से भारत के युवा वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी भूमिका निभा सकेंगे। शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा, स्थानीय आवश्कताओं आदि पर भी विचार किया गया है। हम क्रियावयन की बात करते है तो सबसे पहले हमें इसका अध्ययन अपने सभी शिक्षण संस्थाओं में कराना चाहिए । क्रियान्वयन को हर शिक्षण संस्थान में पहुचाने के लिए व्याख्यान कार्यशाला आदि का आयोजन सभी शिक्षण संस्थाओं को करना चाहिए।

कार्यक्रम के अध्यक्ष चौ. बंसी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. के. मित्तल ने शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर भावी योजनाओं को सबके सम्मुख रखा। दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण परिसर के निदेशक प्रो. सुमन कुंडू ने आगत सभी अतिथियों का धन्यवाद किया। गोष्ठी का संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता ने किया।

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