नई दिल्ली, 14 जनवरी (हि.स.) । दिल्ली हाईकोर्ट टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपितों के खिलाफ सीबीआई की अपील पर कल यानी 15 जनवरी को भी सुनवाई जारी रखेगा। आज सीबीआई की ओर से संक्षिप्त दलीलें रखी गईं। आरोपितों की ओर से कहा गया कि दस्तावेजों की संख्या काफी ज्यादा है और कोर्ट की रिकॉर्ड में काफी दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं।
आज सीबीआई की ओर से एएसजी संजय जैन ने जैसे ही दलीलें रखनी शुरू कीं। आरोपितों की ओर से वकील विजय अग्रवाल ने इस मामले में दस्तावेजों की संख्या काफी ज्यादा है और बहुत सारे दस्तावेज कोर्ट की रिकार्ड में नहीं हैं। अग्रवाल ने पिछली बेंच के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट को सभी प्रासंगिक तथ्यों और गवाहों के बयानों पर गौर करना चाहिए। तब कोर्ट ने पूछा कि आप कहना क्या चाहते हैं। इस पर अग्रवाल ने कहा कि आप देखें कि दस्तावेजों की संख्या हजारों में है। इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड में सारी चीजें मौजूद नहीं हैं। इस मामले पर फैसला ही 1552 पेजों का है। गवाहों के बयान के अलावा सरकारी दस्तावेजों की संख्या हजारों में है। कोर्ट को मूल दस्तावेज देखने चाहिए। कोर्ट की रिकार्ड में 6500 पेज उपलब्ध ही नहीं हैं। इतने सारे दस्तावेजों को देखना वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संभव नहीं है । अग्रवाल ने कहा कि हम वीडियो कांफ्रेंसिंग में रोजाना पेश होते हैं, लेकिन इस केस में वीडियो कांफ्रेंसिंग से समझना मुश्किल है। तब जस्टिस योगेश खन्ना ने कहा कि हमने भी इस केस को आज देखा है। अगर वीडियो कांफ्रेंसिंग में दिक्कत होगी तो मैं बताऊंगा। वैसे भी कोर्ट खुलने में अब ज्यादा समय नहीं है।
अग्रवाल के बाद एएसजी संजय जैन ने कहा कि मैं ट्रायल कोर्ट के फैसले को पढ़ना चाहता हूं। तब अग्रवाल ने कहा कि रिकार्ड में सीबीआई का जवाबी हलफनामा भी नहीं है। तब कोर्ट ने कहा कि हम इस पर आदेश जारी करेंगे। जैन ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए कहा कि सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि किन संदर्भों में नीति बनाई गई और क्या अपराध किया गया यह समझना जरूरी है। उन्होंने कहा कि नई दूरसंचार नीति आम लोगों को सस्ते में सेवा देने के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी करने को लेकर था। लाईसेंस फीस राजस्व पर आधारित था। उन्होंने 2001 में रिलायंस और टाटा को दिए गए लाईसेंस जारी करने के बारे में बताया। सुनवाई के दौरान जब संजय जैन दलीलें रख रहे थे उस समय वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान बाधा आ रही थी। उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई 15 जनवरी तक के लिए टाल दिया।
23 नवंबर, 2020 को जस्टिस बृजेश सेठी की बेंच ने आरोपितों की उस अर्जी को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने जरूरी स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से सीबीआई की अपील को खारिज करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट में हुआ संशोधन उन मामलों पर लागू नहीं होता जो संशोधन के पहले के हैं।
इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा औऱ कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। 25 मई, 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया था। हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर, 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है।