एलएसी पर मौजूदा तनाव के लिए चीन​ ​दोषी

– रक्षा मंत्रालय ने ​2020 ​की अपनी ​वार्षिक समीक्षा में ​​किये कई अहम खुलासे
– ​एलएसी पर चीन की उत्तेजक कार्रवाइयों से दोनों देशों में तनाव और बढ़ा​​ ​ ​​ 


​नई दिल्ली, 05 जनवरी (हि.स.) ।​​ रक्षा मंत्रालय ने ​2020 ​की अपनी ​वार्षिक समीक्षा में ​​खुलासा किया ​है ​कि​ पूर्वी लद्दाख ​में ​वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ​गतिरोध ​के दौरान ​​​चीन ने अपरंपरागत हथियारों और उत्तेजक कार्रवाई का इस्तेमाल किया​ जिससे दोनों देशों के बीच और तनाव बढ़ा।​ एलएसी पर मौजूदा तनाव के लिए चीन को दोषी ठहराते हुए मंत्रालय ​ने कहा​​ ​है ​कि भारतीय सेना ने दोनों देशों के बीच सभी प्रोटोकॉल और समझौतों को बनाए रखा है।​  ​​ ​ ​


रक्षा मंत्रालय ने ​भारत-चीन गतिरोध ​के बारे में विवरण ​देते हुए समीक्षा में कहा है​ कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (​पीएलए​) ने पूर्वी लद्दाख में अपरंपरागत हथियारों का इस्तेमाल ​करके तनाव की स्थिति को बढ़ाया​ जिससे ​भारतीय सेना को टैंकों और बंदूकों जैसे भारी उपकरणों को तैनात ​करना पड़ा​​। ​मंत्रालय का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (​एलएसी​) पर ​कई जगहों पर ​यथास्थिति को बदलने के लिए चीन द्वारा एकतरफा और उत्तेजक कार्रवाई​ की गई लेकिन उन्हें इसका मजबूती से जवाब दिया गया​।​ मौजूदा तनाव के लिए चीन को दोषी ठहराते हुए मंत्रालय ने ​​समीक्षा में ​​कहा​​ ​है ​कि भारतीय सेना ने दोनों देशों के बीच सभी प्रोटोकॉल और समझौतों को बनाए रखा है।​ इसके विपरीत ​पीएलए ने अपरंपरागत हथियारों के उपयोग और बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करके ​तनाव की ​स्थिति को बढ़ाया।​


​गलवान घाटी में 15/16 जून को हुए खूनी संघर्ष का उल्लेख करते हुए​ रिपोर्ट में कहा​ गया है कि ​पीएलए के सैनिकों को हमारे क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के दौरान 20 भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवाई।​ इस घटना में चीन​ को भी हताहतों का सामना करना पड़ा​ लेकिन चीनियों ने कभी भी अपनी ​संख्या को सार्वजनिक नहीं किया।​ ​​साल के अंत की समीक्षा इस बात का ​भी ​ब्योरा ​दिया गया ​है कि चीनी सैनिकों के साथ अगस्त​ के ​अंत में किस तरह से ​तनाव बढ़ा और ​अन्य भारतीय क्षेत्रों पर ​चीनी सेना की ओर से ​कब्जे के प्रयास किए गए। ​इतना ही नहीं एलएसी पर हवा में गोलियां भी चलाई ​गईं​।​ 28​/​29 अगस्त को​​ एहतियात​ के तौर पर भारतीय सैनिकों​ ने एक काउंटर ऑपरेशन में ​पैन्गोंग झील के दक्षिणी किनारे पर कैलाश रेंज की महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया है।​​


​मंत्रालय ने कहा कि लद्दाख में गतिरोध की शुरुआत पिछले साल मई में हुई थी, जिसमें चीनी पीएलए ने भारतीय नियंत्रण में रहने वाले क्षेत्रों पर कब्जा करके यथास्थिति बदलने का प्रयास किया था।​ ​​रक्षा मंत्रालय ने ​समीक्षा में​ ​​यह भी कहा ​है ​कि​ चीन के जवाब में भारतीय सेना ने भारतीय वायुसेना की सहायता से बहुत कम समय में ​सैनिकों को बंदूकें, टैंक​, गोला-बारूद, राशन​, कपड़े ​और भारी ​उपकरणों के साथ नियंत्रण रेखा पर तैनात किया।​ भारत और चीन लद्दाख में एक अभूतपूर्व झगड़े में शामिल रहे हैं, जिसमें दोनों पक्षों ने सैनिकों, तोपखाने की तोपों, टैंकों और बख्तरबंद वाहनों की भारी तैनाती की है।​​ विवादित क्षेत्रों के ​तापमान में -40 डिग्री ​तक गिरावट हुई है​ लेकिन इसके बावजूद ​कठोर सर्दियों में भी ​सैनिक ​तैनात​ हैं​​।  


​समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय सेना ने तैनाती में सहायता के लिए सड़कों, आवास आश्रयों और पुलों का निर्माण किया है। ऊंचाइयों पर तैनात ​सैनिकों के लिये एडवांस विंटर स्टॉकिंग ​​और सर्दियों की तैयारी पूरी हो चुकी है​। चीनी सेना ​के किसी भी दुस्साहस का मुकाबला करने के लिए सैनिकों को अच्छी तरह से ​तैनात किया गया है। ​हालांकि इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए ​चीन के साथ ​बातचीत भी आगे बढ़ रही है​​।​ ​म​​ई के आरंभ में गतिरोध का हल खोजने के लिए कोर कमांडर-स्तर पर सैन्य वार्ता के आठ दौर हो चुके हैं लेकिन गतिरोध जारी है। ​दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता में 6 ​नवम्बर को एक विघटन योजना पर चर्चा करने के बावजूद ​आगे की ​कोई बातचीत नहीं हुई है​​।  

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