नई दिल्ली, 04 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की जरूरत पर बल दिया है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस ‘एडुकॉन-2020’ को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री पोखरियाल ने कहा कि हमें अपने छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। उन्होंने नीति को क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि यह प्राथमिक स्तर पर मातृ-भाषा को बढ़ावा देने और माध्यमिक स्तर पर छात्रों के लिए व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने जैसे कई पहलुओं पर केंद्रित है।
पोखरियाल ने कहा कि 21वीं सदी को पूरे विश्व में ज्ञान की सदी के रूप में जाना जाता है। सतत विकास लक्ष्यों की सूची के लक्ष्य चार के अंतर्गत समावेशी शिक्षा प्रणाली के महत्त्व की ओर इशारा करता पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा एवं ग्लोबल एजुकेशनल रिसर्च एसोसिएशन का अखण्ड अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन का यह प्रयास सराहनीय है। निश्चित तौर पर यह सम्मलेन हमें इस बात का बोध कराता है कि किसी भी समस्या के निराकरण के लिए उच्च शिक्षा का विशेष महत्व है।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए कहा कि यह नीति ज्ञानार्जन अवसरों के लिए उच्च शिक्षा में अंतरविषयी अध्ययन और एकीकृत पाठ्यक्रम पर जोर देती है। इसका उद्देश्य मूल्य-आधारित समग्र शिक्षा प्रदान करना, वैज्ञानिक स्वभाव का विकास करना और साथ ही भारत के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है।
उन्होंने कहा कि यह नीति शिक्षण प्रक्रिया में तकनीकी के और अधिक उपयोग के लिए रूपरेखा तैयार करने, ऑनलाइन पाठ्यक्रम सामग्री के विकास, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की शुरुआत और राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच की स्थापना सरीखे नवीन सुधारों पर जोर देती है, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में भारतीय विद्वानों को लाभान्वित करेगी।
इस अवसर पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी पंजाब के कुलपति प्रोफेसर राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी, ग्लोबल एजुकेशन रिसर्च एसोसिएशन के संरक्षक पदम् श्री (डॉ.) महेंद्र सोढा, ग्लोबल एजुकेशनल रिसर्च एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर एस.पी. मल्होत्रा अध्यक्ष, ग्लोबल एजुकेशनल रिसर्च एसोसिएशन के अध्यक्ष (मुख्यालय) प्रोफेसर एस.के.बावा, नेशनल कॉउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर जे.एस. राजपूत, डॉ. चांद किरण सलूजा, प्रोफेसर वसुधा कामत, प्रोफेसर रजनीश जैन, प्रोफेसर मुहम्मद अख्तर सिद्दीकी, प्रोफेसर सी.बी.शर्मा, डॉ. (श्रीमती) पासी एवं विभिन्न देशों से स्पीकर भी थे।
इसके अलावा केल्गरी, कनाडा से प्रोफेसर युगीन, भूटान से प्रोफ़ेसर सामदू छेत्री, वॉरसेस्टर विश्वविद्यालय, ब्रिटेन से प्रोफेसर जे.के.ढिल्लों, मिशिगन से प्रोफेसर रघु, न्यूयार्क से डॉ. राधिका अय्यंगर तथा ऑस्ट्रेलिया से मानवी गाँधी भी उपस्थित थे।