किसान संगठन मांगों पर अड़े, कहा- कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं

नई दिल्ली, 04 जनवरी (हि.स.)। नये कृषि कानूनों को रद्द किए जाने को लेकर किसान संगठनों व सरकार के बीच सातवें दौर की बातचीत में सहमति नहीं बन सकी। दरअसल किसान नेता तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने पर अड़े रहे, जबकि सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्रियों ने संशोधन करने पर सहमति जताई। किसान संगठनों और सरकार के बीच अब अगले दौर की वार्ती 8 जनवरी को दोपहर दो बजे होगी।

किसान संगठनों और सरकार के मंत्रियों के बीच विज्ञान भवन में करीब पांच घंटे तक चली बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा हुई लेकिन कानून रद्द करने पर सहमति नहीं बन सकी। उन्होंने कहा कि हमने सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि क़ानून  के वापस नहीं होने तक किसानों की घर वापसी भी नहीं होगी। किसान अपनी मांगों पर पीछे नहीं हटेंगे और आंदोलन आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारी मांग स्पष्ट है कि कानूनों को रद्द करने के साथ एमएसपी पर सरकार लिखित आश्वासन दे।
क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शन पाल ने कहा कि सरकार को यह बात समझ आ गई है कि किसान संगठन कृषि क़ानूनों को रद्द किए बिना कोई बात नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उनसे पूछा गया कि क्या वो क़ानून को रद्द किए बिना नहीं मानेंगे, तो सबने एक स्वर में कहा कि कानून वापसी से कम कुछ भी स्वीकार नहीं।
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, ‘सरकार काफी दबाव में है। हमने साफ कहा है कि कानूनों को निरस्त करना ही हमारी मांग है। इसके बाद ही अन्य किसी विषय पर चर्चा संभव हो सकती है। कानूनों को निरस्त करने तक विरोध वापस नहीं लिया जाएगा।’
एक अन्य किसान नेता ने कहा कि उनकी मांग स्पष्ट है कि पहले कृषि कानूनों को वापस लिया जाए, एमएसपी पर बात बाद में करेंगे। सरकार ने अगले दौर की वार्ता के लिए आठ तारीख तक का समय मांगा है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि अगली बैठक में वो सोचकर आएंगे कि कानून वापस कैसे किए जा सकते हैं और इसकी प्रक्रिया क्या होगी।

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