सीहोर, 25 फरवरी (हि.स.)। नगर के कस्बा क्षेत्रवासियों ने सामाजिक सोहार्द की मिशाल पेश की है, यहां पर बीते 24 सालों से मुस्लिम परिवार एक हिंदु व्यक्ति के लिए मददगार बने हुए हैं और घर के सदस्य की तरह उसकी देखरेख करते हैं। खाने-पीने से लेकर कपडों तक का इंतजाम भी मुस्लिम लोग ही करते हैं। पिता की मृत्यु के बाद रामप्रसाद को उसके परिजनों के घर से निकाल दिया था इसके बाद कस्बा क्षेत्र के कुछ मुस्लिम परिवार उसका सहारा बने।
जानकारी के अनुसार 45 वर्षीय रामप्रसाद बाथम करीब 24 सालों ने अलफल पठान के मकान में रहते हैं। अफजल उनसे किसी प्रकार किराया नहीं लेते बल्कि उन्हें खाने, कपड़े से लेकर सुविधा उपलब्ध कराते हैं परिवार के सदस्य की तरह रामप्रसाद की हर जरुरतों का ध्यान रखते हैं।
रामप्रसाद बताते हैं कि उनके पिता सीहोर नजूल शाखा में पदस्थ्य थे। भोपाली फाटक पर परिवार के साथ रहते थे। उनके तीन भाई और पांच बहने हैं। करीब 24 साल पहले पिता की मृत्यु के बाद उनके भाईयों ने उसे घर से निकाल दिया। पिता के रिटायरमेंट का पैसा और मॉ को मिलने वाली पेंशन और पुस्तैनी मकान हडप कर उन्हें घर से भगा दिया। इसके बाद कस्बे में अफजल पठान और कुछ मुस्लिम परिवारों ने उनका सहयोग किया। कई सालों से वह पठान के घर में रहते हैं जिसका वह किराया नहीं लेते। मोहल्ले के लोग ही सुबह-शाम खाना देते हैं और हर छोटी-बडी जरुरतों का ध्यान रखते हैं।
घर के सदस्य की तरह है
अफजल पठान कहते हैं कि रामप्रसाद उनके परिवार के सदस्य की तरह है। परिवार वाले जब बाहर जाते हैं कि घर की जिम्मेदारी उसे सौंप देते हैं पूरा भरोसा है। मजहब प्यार और दूसरों को मदद करना सिखाता है। जगह भी दे रखी है चाहे तो मकान बनाकर भी दे सकते हैं।
मुझे कर देने दफन
45 वर्षीय रामप्रसाद बाथम ने अपना नाम इकबाल रख लिया है, वह किसी भी धर्म को नहीं मानते, लेकिन उनकी आखिरी ख्वाहिश है कि उन्हें मुस्लिम रिति रिवाज के मुताबिक क्रबस्तान में दफन किया जाए। इसके लिए उन्होंने कलेक्टर, एसपी और तहसील में भी आवेदन दे रखा है। वह कहते हैं कि परिवार वालों ने कभी साथ नहीं दिया, लेकिन बेगानों ने अपना समझा और हर मदद की। बिना किसी दबाव के उन्होंने यह निर्णय लिया है।