महाबाहु-ब्रह्मपुत्र परियोजना का प्रधानमंत्री मोदी ने किया शुभारंभ
माजुली (असम), 18 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से वर्चुअल रूप में गुरुवार को विश्व के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए माजुली, धुबरी में ब्रह्मपुत्र नद पर बनने वाले दो पुलों की आधारशिला रखी। साथ ही महाबाहु-ब्रह्मपुत्र नामक 90 से अधिक परियोजनाओं का शुभारंभ किया। ये परियोजनाएं वाटर वे से संबंधित हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में मिसिंग समुदाय के सबसे बड़े और प्रमुख उत्सव “आलि आइये लृगांग” का जिक्र करते हुए मिसिंग भाषा में समाज को संबोधित करते हुए उनको उत्सव की बधाई दी। मोदी ने भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका के गीत- “महाबाहु ब्रह्मपुत्र मिलनर तीर्थ” का उल्लेख करते हुए कहा कि ब्रह्मपुत्र नद मेलजोल व कनेक्टिविटी का पर्याय है। पहले जितने काम इसको लेकर होने चाहिए थे, वे नहीं हुए। जिसके चलते असम समेत पूर्वोत्तर के लिए कनेक्टिविटी एक बड़ी चुनौती बनी रही।
उन्होंने कहाकि आज इस क्षेत्र में तेजी से काम हो रहा है। केंद्र और राज्य की डबल इंजन वाली सरकारों ने मिलकर तेजी से काम किया है। हमने संस्कृति व अन्य बातों को साथ लेकर कार्य किया है। अपने सरकार के कार्यकाल के दौरान ब्रह्मपुत्र नद पर बनाये गये पुलों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि इन पुलों से देश की सुरक्षा के साथ ही जवानों को भी बड़ी सहूलियत मिल रही है और असम समेत पूरे पूर्वोत्तर के लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। कनेक्टिविटी अब तेज हुई है। असम और पूर्वोत्तर के हिस्सों को जोड़ने के कार्यों को आगे बढ़ाया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दो बड़े पुलों के निर्माण का कार्य आरंभ हो रहा है। उन्होंने सोनोवाल सरकार की सराहना की। साथ ही कहा कि माजुली में असम का पहला हेलीपोर्ट भी बन गया है। माजुली वासियों को अब सड़क का भी तेज विकल्प मिलने जा रहा है। आज वर्षों की लंबित मांग 08 किमी लंबे पुल के शिलान्यास के साथ पूरा होने जा रही है। धुबरी से फूलबारी तक 19 किमी के पुल के बन जाने से बराकघाटी के लोगों को भी काफी लाभ मिलेगा। इसके चलते त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर की दूरी भी काफी कम हो जाएगी। इससे पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के साथ ही पूर्व के अन्य देशों के साथ ही एक महत्वपूर्ण संपर्क का सपना साकार होगा।
उन्होंने कहा कि असम को समृद्ध करने के लिए “महाबाहु-ब्रह्मपुत्र” को शुरू किया गया है। इससे वाटर वे के क्षेत्र में भी तेजी से विकास होगा। आज तीन रोपैक्स सर्विस सेवा शुरू हो रही है। इस सेवा के शुरू होने से असम देश में इतनी सेवा शुरू करने वाला पहला राज्य बन गया है। ब्रह्मपुत्र पर चार जगह टूरिस्ट सिटी बनाने का कार्य शुरू हो रहा है। इससे असम में विकास की गति और तेज होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2016 में आपके दिए गए वोट ही आपको को ऊंचाई पर ले जा रहा है। आगे भी यह कार्य बढ़ता रहेगा।
आजादी के पहले असम का आर्थिक विकास देश में सबसे अधिक था, लेकिन आज पिछड़ गया है। आजादी के बाद आधारभूत ढांचे को आधुनिक बनाना जरूरी था लेकिन इसे इनके हाल पर छोड़ दिया गया, जिसके चलते अव्यवस्था और आशांति को लेकर की गयी लापरवाही से विकास प्रभावित हुआ। विकास को लेकर ही अटल बिहारी वाजपेयी ने शुरूआत की थी, जिसे आज हमारी सरकार आगे बढ़ा रही है।
पिछले पांच वर्षों में मल्टी मॉडल विकास को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया जा रहा है। यही कारण है कि असम को पूर्व के देशों के साथ जोड़ने के लिए काम चल रहा है। हाल ही में बांग्लादेश के साथ वाटर कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए एक समझौता किया गया है। बराक और ब्रह्मपुत्र नदियों के रास्ते बांग्लादेश को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इससे पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने के लिए यह वाटर वे बेहद आगे ले जाएगा। जोगीघोपा का मल्टी मॉडल टर्मिनल असम समेत भूटान को भी सुविधा प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि अगर सामान्य जन की सुविधा लक्ष्य हो तो नये रास्ते बन ही जाते हैं। माजुली और निमाती के बीच रोपैक्स सेवा इसका एक प्रमुख उदाहरण है। 12 किमी की यात्रा कर रोपैक्स सेवा से माजुली और जोरहाट की दूरी कम हो जाएगी। इस तरह की सुविधा गुवाहाटी के लोगों को भी मिलेगी। उत्तर गुवाहाटी से दक्षिणी गुवाहाटी के लोगों के 40 किमी की दूरी 3 किमी हो जाएगी। धुबरी में भी इसी तरह से सैकड़ों किमी की दूरी अब सिमटकर 30 किमी रह जाएगी। पानी पोर्टल नौचालन के अलावा मोटर वे के संचालन को भी सुविधा प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर भारत के लिए मल्टी मॉडल योजना असम देश में उदाहरण के रूप में सामने आया है। इंटरनेट कनेक्टिविटी भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए पूर्वोत्तर में पहला और देश का छठवां डेटा सेंटर गुवाहाटी में बनने जा रहा है। इससे पूर्वोत्तर राज्यों को विशेष बल मिलेगा। पूर्वोत्तर के युवाओं को भी इसका लाभ मिलेगा।
भारत रत्न डॉ भूपेन हजारिका के “कर्म ही अमार धर्मर” का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे लिए काम ही हमारा धर्म है। हम नये युग के नये लोग हैं, जिनके लिए काम नहीं हुआ, उनके लिए काम करेंगे। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के साथ हम काम कर रहे हैं। पूर्वोत्तर के धरोहर को मजबूत बानाने के लिए सरकार काम कर रही है। श्रीमंत शंकरदेव ने भी असमिया धरोहर को मजबूत बनाया था। माजुली के मुखा शिल्प, रास महोत्सव, सत्र (मठ) संस्कृति का भी जिक्र किया।
मोदी ने मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और उनकी टीम को बधाई देते हुए माजुली के सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए उठाये गये उल्लेखनीय कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसके जरिए असम की पहचान बेहद मजबूत हो रही है। सरकार के इन कदमों से असम की पहचान वैश्विक स्तर पर मजबूत होगी। साथ ही राज्य में टूरिज्म क्षेत्र भी तेजी से आगे बढ़ेगा। यह विकास गरीब से गरीब लोगों को आगे बढ़ने मदद करता है। ये सारे कदम असम और भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री मनसुख भाई मांडविया ने कहा कि आज असम में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं की सौगात प्रधानमंत्री ने दिया है। इसके जरिए 90 से अधिक परियोजना महाबाहु-ब्रह्मपुत्र नामक योजना से शुरू हुई है।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री मनसुख भाई मांडविया, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा, असम सरकार के वित्त आदि मामलों के मंत्री डॉ हिमंत विश्वशर्मा, असम सरकार के अन्य कई मंत्री, सांसद, विधायक व बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे।