नई दिल्ली, 15 फरवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस मामले में गिरफ्तार केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को अपनी मां से मिलने के लिए पांच दिनों की अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने कप्पन की मां के मौत के कगार पर होने के दावे पर केरल जाने की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपित पांचवें दिन जेल लौट आएगा। वहां पुलिस की निगरानी में अपने घर पर रहेगा और मीडिया से बात नहीं करेगा।
पिछले 22 जनवरी को कोर्ट ने कप्पन को उनकी मां से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात कराने की इजाजत दी थी।14 दिसंबर, 2020 को सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने कहा था कि आरोपित खुद जमानत मांग सकता है। केरल जर्नलिस्ट यूनियन की याचिका न सुनी जाए। पिछले 2 दिसंबर को कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में कप्पन की पत्नी और बेटी को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान कप्पन की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अर्णब गोस्वामी पर सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए कप्पन को भी रिहा करने की मांग की थी। सिब्बल ने कहा था कि अर्णब गोस्वामी को तब जमानत दी गई जब उनकी जमानत याचिका सेशंस कोर्ट में लंबित थी। सिब्बल ने कहा था कि आधारहीन एफआईआर दर्ज की गई है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि क्यों नहीं इस मामले को हाईकोर्ट ले जाते हैं। सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में तो आरोपित ने खुद याचिका दाखिल नहीं की बल्कि एक पत्रकार संगठन ने याचिका दाखिल की है। सिब्बल ने कहा कि कप्पन को फर्जी तरीके से फंसाया गया है। जिन दो लोगों को रिश्तेदार बताया गया, उनसे आरोपित का कोई संबंध नहीं है। तब मेहता ने कहा कि जो भी चीजें जांच में सामने आ रही हैं, वो चौंकाने वाली हैं। चीफ जस्टिस ने सिब्बल से पूछा कि वैसा कोई केस बताइए, जिसमें तीसरे पक्षकार ने राहत की मांग करते हुए कोर्ट का रुख किया हो।
कप्पन की रिहाई के लिए केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की याचिका का उत्तर प्रदेश सरकार ने विरोध किया है। पिछले 20 नवंबर को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के सदस्य कप्पन की रिहाई की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि वह वकीलों के संपर्क में है। वह पीएफआई का सचिव है और जिस अखबार के पत्रकार के रूप में वह हाथरस जा रहा था, वह 2018 में बंद हो चुका है।