अगरतला, 24 दिसम्बर (हि.स.)। त्रिपुरा पुलिस को गुरुवार को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। हथियार और गोला बारूद समेत प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट आफ तिप्रा-बिश्वमोहन गुट (एनएलएफटी-बीएम) के चार सक्रिय कैडरों ने आत्मसमर्पण कर दिया।
चारों ने अगरतला पुलिस मुख्यालय में डीजीपी के हाथों अपने हथियार सौंपकर देश की मुख्यधारा में लौट आए। डीजीपी वीएस यादव ने बताया, उग्रवाद जीवन को बर्बाद कर देता। इससे किसी को लाभ नहीं होता। ये बातें इन चारों को समझ में आ गयी है। डीजीपी बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले चारों कैडर एनएलएफटी के शीर्ष पदों पर थे।
उन्होंने गुरुवार को संवाददाता सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा त्रिपुरा को उग्रवाद मुक्त राज्य बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उग्रवादी संगठन विशेष रूप से एनएलएफटी के शेष गुट को देश की मुख्य धारा में लाना है। आज का आत्मसमर्पण इस लक्ष्य का एक हिस्सा है। त्रिपुरा पुलिस विकास के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए शांति का आह्वान कर रही है। उन्होंने दावा किया कि कई उग्रवादी समूहों और नेताओं ने पहले से ही त्रिपुरा पुलिस द्वारा किए गए प्रयासों के कारण शांति का रास्ता चुना है।
डीजीपी ने गुरुवार को बताया कि 04 एनएलएफटी (बीएम) कैडरों में से गोमती जिला एम्पी थाना इलाके के तोइसन कामी के निवासी स्वयंभू सहायक विदेश सचिव रथम कलोई उर्फ रूबेन, किल्ला थाना इलाके के साइमरोवा निवासी स्वयंभू असिस्टेंट ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी जॉय साधन जमातिया उर्फ जारा, दक्षिणी त्रिपुरा जिला के शांतिरबाजार थाना इलाके के नार्थ तकमाचारा निवासी स्वयंभू असिस्टेंट पब्लिसिटी एंड इंफॉर्मेशन सेक्रेटरी मधु रंजन नोआतिया उर्फ याफंग एवं ढलाई जिला के मनु थाना इलाके के आशा चंद्र पारा निबासी स्वयंभू डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कुकिला त्रिपुरा उर्फ यारुंग शिंल हं। उग्रवादियों ने दो एके-56 राइफल, एक एके-बायोनेट, 04 एके सीरिज की मैगजीन, 119 राउंड एके सीरिज के कारतूस, वायरलेस हैंड सेट- 01 (एक) और 1.5 लाख म्यांमार मुद्रा (Kyat)।
डीजीपी का कहना है प्रारंभिक पूछताछ के दौरान यह पता चला है कि नवम्बर 2018 से जनवरी 2019 तक एनएलएफटी (बीएम) के इन 04 कैडरों के आत्मसमर्पण समेत कुल 17 कैडरों ने म्यांमार के टैगगा स्थित केवाईकेएल (कुंगल योल कन्ना लूप) शिविर में विशेष प्रशिक्षण में भाग लिया था। पूर्वोत्तर के अन्य उग्रवादी संगठन के साथ उन्होंने प्रशिक्षण लिया है।
डीजीपी ने दावा किया इन उग्रवादी कैडरों ने जमीनी अनुभवों से महसूस किया कि त्रिपुरा की स्वतंत्रता के लिए उनकी तथाकथित लड़ाई पूरी तरह से बेबुनियाद है और राज्य के जनजातीय लोगों के समग्र विकास के भविष्य में कोई संभावना नहीं है। दूसरी ओर, वर्तमान में एनएलएफटी (बीएम) समूह गंभीर वित्तीय व संगठनात्मक संकट का सामना कर रहा है। एनएलएफटी संगठन की वर्तमान स्थिति और त्रिपुरा पुलिस के निरंतर दबाव व प्रेरणा से कैडर निराशा महसूस करते हुए उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आकर्षित हुए। इन कैडरों को नियत आधिकारिक प्रक्रिया के बाद “समर्पण- सह पुनर्वास योजना 2018” के तहत पुनर्वास किया जाएगा।