नई दिल्ली, 23 अक्टूबर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि सुरक्षा आर्थिक निवेश और विकास के प्रमुख कारकों में से एक है। उन्होंने कहा कि ‘समृद्ध भारत’ के निर्माण के लिए ‘सुरक्षित भारत’ का निर्माण आवश्यक है।
आज नई दिल्ली में इंटेलिजेंस ब्यूरो-आईबी के 38वें शताब्दी एंडॉमेंट व्याख्यान को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत बहुआयामी सुरक्षा चुनौतियों और खतरों का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव, आतंकवाद और उग्रवाद, विद्रोह और सांप्रदायिक कट्टरता पारंपरिक रूप से सुरक्षा संबंधी चिंता के क्षेत्र रहे हैं।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि हाल के वर्षों में साइबर अपराध एक महत्वपूर्ण सुरक्षा खतरे के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी हिस्से में सुरक्षा की कमी का आर्थिक प्रभाव प्रभावित क्षेत्र से कहीं अधिक व्यापक होता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद लगभग पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में कार्यरत बलों और एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई वामपंथी उग्रवाद के उन्मूलन के पीछे प्रमुख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कई पहलों के माध्यम से समुदायों का विश्वास जीतने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया गया। आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देना वामपंथी उग्रवादियों और विद्रोही समूहों द्वारा लोगों के शोषण के खिलाफ प्रभावी साबित हुआ है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सोशल मीडिया ने सूचना और संचार की दुनिया को बदल दिया है। इसमें सृजन और विनाश दोनों की क्षमता है। उन्होंने कहा कि लोगों को गलत सूचनाओं से बचाना एक बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह कार्य निरंतर और अत्यंत प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिए।
उन्होंने राष्ट्रीय हित में तथ्यों पर आधारित जानकारी प्रस्तुत करने वाले सक्रिय सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का एक समुदाय बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। राष्ट्रपति ने देश की आंतरिक सुरक्षा में आईबी के असाधारण योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह अदृश्य नायकों की एजेंसी है।
उन्होंने कहा कि खुफिया ब्यूरो देशवासियों को सुरक्षा प्रदान करने और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने में उत्कृष्ट भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले एक दशक में खुफिया ब्यूरो जैसी सुरक्षा एजेंसियों ने देश के आंतरिक खतरों को बेअसर किया है।
उन्होंने कहा कि इस व्याख्यान का विषय ‘जन-केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा: विकसित भारत के निर्माण में सामुदायिक भागीदारी’ देश के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। आईबी सहित सभी संबंधित संस्थानों को लोगों में जागरूकता फैलानी चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा प्रत्येक नागरिक का दायित्व है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि जागरूक नागरिक राष्ट्रीय सुरक्षा में लगे सरकारी एजेंसियों के प्रयासों को सशक्त समर्थन प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सामुदायिक भागीदारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करती है और ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां जागरूक नागरिकों ने सुरक्षा संकटों को टालने में पेशेवर बलों की मदद की है।
राष्ट्रपति ने कहा कि नागरिक कल्याण और जनभागीदारी को रणनीति के केंद्र में रखकर राष्ट्र अपने नागरिकों को खुफिया जानकारी और सुरक्षा के प्रभावी स्रोत बनने के लिए सशक्त बना सकता है।
उन्होंने कहा कि जनभागीदारी से प्रेरित यह परिवर्तन 21वीं सदी की जटिल और बहुआयामी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सहायक होगा। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार और गृह सचिव गोविंद मोहन उपस्थित थे।
निदेशक तपन कुमार डेका ने कहा कि आईबी देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने में हमेशा से अग्रणी रहा है। खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने और उनका समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
