नईदिल्ली, 18 दिसंबर : राज्यसभा में आज भारत के रूपांतरण के लिए परमाणु ऊर्जा का सतत दोहन और विकास, 2025 पर चर्चा हुई। लोकसभा में विधेयक कल ही पारित हो गया था। यह विधेयक परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 का स्थान लेगा। इस विधेयक का उद्देश्य देशवासियों के कल्याण के लिए परमाणु ऊर्जा और आयनीकरण विकिरण के विकास के माध्यम से परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना है। इसके अलावा सुरक्षित और संरक्षित उपयोग के लिए एक सुदृढ़ नियामक ढांचा प्रदान करना भी इसका उद्देश्य है। विधेयक में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के गठन और परमाणु ऊर्जा निवारण सलाहकार परिषद की स्थापना का प्रावधान है। विधेयक में परमाणु दुर्घटना की स्थिति में केंद्र सरकार के दायित्व का भी प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार ने विधेयक के अंतर्गत अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए एक परमाणु दायित्व कोष की स्थापना की है। यह विधेयक बोर्ड को किसी भी रेडियोधर्मी पदार्थ और विकिरण उत्पन्न करने वाले उपकरणों के निर्माण, उपयोग, निर्यात, आयात, परिवहन और हस्तांतरण को विनियमित करने में सक्षम बनाता है। यह केंद्र सरकार को रेडियोधर्मी पदार्थों की सुरक्षा के लिए उपाय निर्दिष्ट करने का भी अधिकार देता है। इस विधेयक के लागू होने से केंद्र सरकार को यूरेनियम या थोरियम की खोज के लिए अन्वेषण गतिविधियां चलाने का अधिकार मिल जाएगा।
परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले दस वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि 2013-14 के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग का बजट मात्र 13 हजार आठ सौ 79 करोड़ रुपये था। यह अब लगभग 107 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 37 हजार चार सौ 83 करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने परमाणु क्षेत्र को संयुक्त उद्यमों के लिए खोलने का भी निर्णय लिया है। डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि इस वर्ष सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में चार परमाणु रिएक्टरों की आधारशिला रखी। डॉ. सिंह ने कहा कि सुरक्षा संबंधी पहलुओं पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के जयराम रमेश ने अपने संबोधन में भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि विकास सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा संचालित होना चाहिए। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि यदि इसे निजी क्षेत्र को दे दिया जाता है, तो यह देश के परमाणु कार्यक्रमों का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिकों के दृढ़ विश्वासों की अनदेखी करने के समान होगा।
भारतीय जनता पार्टी की किरण चौधरी ने कहा कि यह विधेयक पुराने बिखरे हुए नियमों को निरस्त करता है और उनकी जगह लाइसेंसिंग, सुरक्षा अनुमोदन, दायित्व और मुआवजे को कवर करने वाला एक एकीकृत तथा आधुनिक ढांचे का प्रावधान करता है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और जन सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए परमाणु ऊर्जा की एक ठोस नींव रखी थी जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार किया और आगे बढ़ाया है।
तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे मूल रूप से खतरनाक बताया।
आम आदमी पार्टी के संदीप पाठक, युवजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी – वाई. एस. आर कांग्रेस पार्टी के अयोध्या रामी रेड्डी अल्ला और बीजू जनता दल के मुजीबुल्ला खान ने भी चर्चा में भाग लिया।
