भारत न केवल मानवाधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि उनका सम्‍मान भी करता है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

नई दिल्ली, 10 दिसंबर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र बनने के लिए प्रतिबद्ध है जहां मानवाधिकारों की न केवल रक्षा की जाती है बल्कि उनका सम्मान भी किया जाता है। नई दिल्ली में मानवाधिकार दिवस 2025 और दैनिक आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि गरिमा पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता और किसी को भी उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि मानवाधिकार दिवस एक न्यायपूर्ण, समतावादी और करुणामय समाज की पृष्ठभूमि तैयार करता है। उन्‍होंने कहा कि न्याय मिलना प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने मानवाधिकारों के वैश्विक ढांचे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्‍होंने उल्लेख किया कि संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों में से एक हंसा मेहता ने सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र के मसौदे को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने मानवीय गरिमा, समानता और न्याय पर आधारित विश्व की कल्पना की थी। सुश्री मुर्मु ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विभिन्न प्रभावी सरकारी योजनाओं, महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और गरिमा के माध्यम से देश की आत्मनिर्भरता मजबूत हुई है। मानवाधिकार दिवस 1950 से प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को मनाया जाता है।

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