नई दिल्ली, 8 दिसंबर: लोकसभा में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा शुरू हुई। राष्ट्रीय गीत, बंकिमचंद्र चटर्जी ने वर्ष 1875 में लिखा था। चर्चा की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम के मंत्र ने समूचे देश को शक्ति और प्रेरणा दी तथा स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जावान बनाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वंदे मातरम का स्मरण इस सदन के सभी सदस्यों और देशवासियों के लिए सौभाग्य की बात है। श्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम के 150 वर्ष उस महान अध्याय और गौरव को पुनः स्थापित करने का अवसर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम ने वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम वह शक्ति है जो लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वंदे मातरम अपनी 100वीं वर्षगांठ मना रहा था, तब देश आपातकाल से प्रभावित था। उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रगीत का उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए था, तब भारतीय संविधान का दमन किया गया और देश पर मर मिटने वालों को जेल में भेज दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम केवल राजनीतिक स्वतंत्रता का मंत्र नहीं है, बल्कि यह भारत को उपनिवेशवाद की बेड़ियों से मुक्त करने का एक साधन है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम ने हजारों वर्षों से भारत में गहराई से जड़ें जमाए एक विचार को पुनर्जीवित किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम वर्ष 1857 में ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह के समय लिखा गया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रगीत के माध्यम से बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने इस चुनौती का बड़ी ताकत और दृढ़ संकल्प के साथ जवाब दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम इस महान सांस्कृतिक परंपरा की आधुनिक अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का लोगों के साथ गहरा जुड़ाव स्वाधीनता आंदोलन की अभूतपूर्व यात्रा को दर्शाता है। श्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम ने स्वतंत्रता आंदोलन को शक्ति और दिशा दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम का विरोध करने वाली मुस्लिम लीग की राजनीति 1937 में शुरू हुई थी। श्री मोदी ने वंदे मातरम पर समझौता करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय गीत के मुद्दे पर मुस्लिम लीग के समर्पण कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने इसके खिलाफ नारे लगाए थे और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू ने जिन्ना की निंदा करने के बजाय, जिन्ना के विरोध के पाँच दिन बाद ही वंदे मातरम की जाँच शुरू कर दी थी।
चर्चा में भाग लेते हुए, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि बंगाल के कई लेखकों और कवियों ने स्वतंत्रता आंदोलन में नए प्राण फूंकने वाले गीत लिखे। श्री गोगोई ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण के दौरान चर्चा को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वंदे मातरम पर चर्चा कर रहा है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम ने अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ऊर्जा और आशा की अलख जगाई।
