छठ पूजा को यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल कराने के लिए भारत सरकार का प्रयास: ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री की घोषणा

नई दिल्ली, 28 सितंबर — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्रसारित अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 126वें संस्करण में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पहल की घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार छठ पूजा को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage) की सूची में शामिल कराने के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पहल छठ पूजा के “गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को वैश्विक मान्यता दिलाने की दिशा में एक प्रयास” है।

गौरतलब है कि छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाई जाती है। यह चार दिन तक चलने वाला एक कठोर उपवास एवं शुद्धता-आधारित अनुष्ठान है, जिसमें श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मइया की आराधना करते हैं। व्रती नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्यास्त और सूर्योदय के समय अर्घ्य अर्पित करते हैं, जो प्रकृति के प्रति आभार और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा,

“छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह प्रकृति-आधारित आस्था, स्वच्छता, पर्यावरण जागरूकता और सामाजिक एकता का जीवंत उदाहरण है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह पर्व भारत की प्राचीन प्रकृति-पूजन परंपरा और सतत जीवन दर्शन को प्रतिबिंबित करता है।

यह पहल 2021 में दुर्गा पूजा को यूनेस्को की मान्यता मिलने के बाद भारत द्वारा की गई एक और प्रयास है, जो यह दर्शाता है कि देश अपने पारंपरिक, पर्यावरण-संवेदनशील और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाले पर्वों को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि छठ पूजा भी भविष्य में दुर्गा पूजा की तरह भारत की बहुलतावादी संस्कृति और आध्यात्मिक गहराई का प्रतिनिधित्व करने वाला पर्व बनकर वैश्विक पहचान प्राप्त करेगा।

इस दिशा में संस्कृति मंत्रालय, सांस्कृतिक विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के साथ मिलकर छठ पूजा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, रीति-रिवाज, और सामाजिक भागीदारी से जुड़ी विस्तृत जानकारी तैयार करने का काम शुरू हो चुका है, जिसे औपचारिक रूप से यूनेस्को में प्रस्तावित किया जाएगा।

सांस्कृतिक शोधकर्ता और इतिहासकारों ने प्रधानमंत्री की इस घोषणा का स्वागत किया है। उनका मानना है कि छठ पूजा अपनी विशिष्ट परंपरा, पर्यावरण के प्रति सजगता और सामाजिक समरसता के कारण अंतरराष्ट्रीय मान्यता पाने के योग्य है। यह सिर्फ बिहार या पूर्वी भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि भारतीय जीवनदर्शन और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री की यह घोषणा उन करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बनेगी जो छठ पूजा को अपना जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं। अगर यूनेस्को द्वारा यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो छठ पूजा दुर्गा पूजा के बाद दूसरा ऐसा भारतीय पर्व होगा जिसे वैश्विक सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता मिलेगी।

यह पहल भारत की उस वृहद सांस्कृतिक रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत देश अपनी स्थानीय परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत कर उन्हें भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना चाहता है।