लद्दाख में चार की मौत, 80 से अधिक घायल; लेह में कर्फ्यू, कारगिल में शटडाउन और प्रदर्शन

नई दिल्ली/लेह, 25 सितंबर: लद्दाख के लेह में हुई हिंसक घटनाओं में चार लोग मारे गए और 80 से अधिक घायल हुए, जिसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही कारगिल और अन्य मुख्य शहरों में पांच या उससे अधिक संख्या में लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कारगिल में कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) ने क्लाइमेट कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के समर्थन में अनशन के दौरान शटडाउन बुलाया है। लद्दाख के राज्यपाल कविंदर गुप्ता ने आज सुरक्षा समीक्षा बैठक कर उच्चतम सतर्कता बरतने का निर्देश दिया ताकि शांति बनी रहे।

लद्दाख को राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर जारी आंदोलन बुधवार को लेह में हिंसा, आगजनी और सड़क संघर्ष में तब्दील हो गया। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) द्वारा बुलाए गए शटडाउन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय, एक पुलिस वाहन और कई निजी वाहनों में आग लगा दी। केंद्र सरकार ने बताया कि दोपहर 4 बजे के बाद स्थिति नियंत्रण में आ गई और किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई। आम जनता से अपील की गई है कि वे पुरानी या उत्तेजक वीडियो सोशल और मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैलाने से बचें।

पुलिस और अर्धसैनिक बलों को बड़े पैमाने पर तैनात कर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया। लद्दाख के निवासी छहवीं अनुसूची (जो असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी इलाकों को विशेष प्रशासनिक अधिकार प्रदान करती है) के तहत आने की भी मांग कर रहे हैं।

2019 में अगस्त में केंद्र की भाजपा सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित कर दिया था।

सोनम वांगचुक ने बुधवार को 15 दिनों के अनशन को स्थगित कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी भूख हड़ताल बंद करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उनका अनशन और ज्यादा तनाव बढ़ा सकता था। उन्होंने हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए क्षेत्र में शांति स्थापित करने का आह्वान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस आंदोलन के पीछे कोई राजनीतिक दल नहीं है और उन्हें नहीं लगता कि कोई राजनीतिक दल युवाओं को संगठित कर पा रहा है।

वांगचुक पहले भी शांतिपूर्ण मार्ग अपनाने की बात कह चुके थे और युवाओं से “इस अनुचित कार्रवाई को बंद करने” का अनुरोध किया था क्योंकि हिंसा केवल उनकी मांगों को नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, “लेह में जो कुछ हुआ उससे मैं बहुत दुखी हूं। मेरा शांतिपूर्ण संदेश विफल हो गया है। मैं युवाओं से आग्रह करता हूं कि वे यह अनुचित कार्य बंद करें। यह केवल हमारे उद्देश्य को नुकसान पहुंचाता है।”

केंद्र सरकार ने कहा है कि लद्दाख की हिंसा के पीछे सोनम वांगचुक के “उत्तेजक बयान” और कुछ “राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित” लोगों की नाराजगी है। गृह मंत्रालय ने बताया कि दिन की शुरुआत में कुछ दुखद घटनाओं को छोड़कर स्थिति दोपहर 4 बजे तक नियंत्रण में आ गई और सभी से पुरानी या उत्तेजक वीडियो फैलाने से बचने का आग्रह किया गया।

विपक्षी दलों ने मामले को संवेदनशीलता से निपटाने की मांग की है और घटनास्थल पर जाकर स्थिति का सही आंकलन करने का आग्रह किया है। वामपंथी दलों ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि भाजपा ने जनता के अधिकारों का उल्लंघन किया है और केंद्र सरकार की एकीकरण नीति के कारण यह संघर्ष हुआ है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लेह की घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लद्दाख के लोगों को कभी राज्य का दर्जा देने का आश्वासन नहीं दिया गया और वे तो 2019 में केंद्रशासित प्रदेश बनने की बात पर ही खुश थे। उन्होंने कहा कि यह घटना जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक चेतावनी है।

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि वे कल्पना भी नहीं कर सकतीं कि लद्दाख के शांतिप्रिय लोग हिंसक रास्ता अपनाएंगे और सरकार से सीधे संवाद की मांग की। वहीं भाजपा के अमित मालवीय ने कांग्रेस को हिंसा के पीछे का दोषी ठहराया और विशेषकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निशाना बनाया।

लद्दाख में हिंसा के बीच स्थिति अभी नाजुक बनी हुई है और प्रशासन सतर्कता बरतने पर जोर दे रहा है।