नई दिल्ली, 23 सितंबर:
भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा योजना ‘आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY)’ आज अपने सात वर्ष पूरे कर चुकी है। वर्ष 2018 में झारखंड के रांची से इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत হয়। तब से लेकर আজ तक এই योजना প্রায় 55 करोड़ लाभार्थীর জীবনকে সরাসরি প্রভাবিত করেছে।
इस योजना के तहत प्रति परिवार हर वर्ष 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाता है, जो देशभर के अस्पतालों में कैशलेस और पेपरलेस इलाज की सुविधा सुनिश्चित करता है। अब तक इस योजना के माध्यम से 10.30 करोड़ से अधिक अस्पताल में भर्ती की अनुमति दी गई है और मरीजों को लगभग ₹1.48 लाख करोड़ की निःशुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान की गई है।
वर्ष 2022 में लाभार्थी परिवारों की संख्या बढ़ाकर 12 करोड़ की गई और 2024 में इसमें आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और उनके परिवारों को भी शामिल किया गया है। पिछले वर्ष अक्टूबर से 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए ‘आयुष्मान वै बंदना कार्ड’ के ज़रिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुरक्षा की सुविधा शुरू की गई है। साथ ही 1 करोड़ गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को भी योजना में शामिल किया जा रहा है।
आज देशभर में 1.8 लाख से अधिक ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ कार्यरत हैं, जो जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में एक मूक क्रांति का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये केंद्र लाखों लोगों को सुरक्षित, सुलभ और सम्मानजनक चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर आयुष्मान भारत को देश के जनस्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहा कि इस योजना ने न केवल आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की है, बल्कि हर नागरिक को सम्मानपूर्वक इलाज का अधिकार भी दिया है। उन्होंने कहा,
“भारत की यह यात्रा दर्शाती है कि कैसे बड़े पैमाने पर मानवीय दृष्टिकोण और तकनीक के समन्वय से आम जनता को सशक्त किया जा सकता है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा द्वारा लिखित एक लेख साझा करते हुए कहा कि “आयुष्मान भारत – एक वादा नहीं, बल्कि जनआंदोलन” बन चुका है। यह लेख भारत सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें हर नागरिक की स्वास्थ्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आयुष्मान भारत ने देश के स्वास्थ्य ढांचे में ऐतिहासिक और दूरगामी परिवर्तन लाए हैं। यह योजना अब केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि स्वस्थ भारत की दिशा में एक जनभागीदारी का प्रतीक बन चुकी है।
