सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय मंच पर उत्तर-पूर्व भारत का सांस्कृतिक उत्सव, जुबिन गर्ग, मेबा ओफिलिया और बरकुंग ह्रांगखाओल लेंगे भाग

सिंगापुर | 20 सितंबर 2025: उत्तर-पूर्व भारत की सांस्कृतिक विविधता को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के उद्देश्य से सिंगापुर में एक विशेष अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में हिस्सा নিচ্ছেন असम के प्रसिद्ध गायक जुबिन गर्ग, मेघालय की चर्चित रैपर मेबा ओफिलिया और त्रिपुरा के समाज-सचेत संगीतकार बरकुंग ह्रांगखाओल। इस अनूठे आयोजन के माध्यम से संगीत, नृत्य और लोककलার মাধ্যমে उत्तर-पूर्व भारत की समृद्ध परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को विश्वदर्शकों के সামনে তুলে ধরা হবে।

कार्यक्रम में जुबिन गर्ग अपने लोकप्रिय गीतों के साथ-साथ लोकसंगीत পরিবেশন करेंगे, जो प्रवासी भारतीयों और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाएगा। मेबा ओफिलिया अपनी दमदार रैप प्रस्तुति के ज़रिए महिला सशक्तिकरण का संदेश देंगी, जबकि बरकुंग ह्रांगखाओल अपने गीतों के माध्यम से आदिवासी विरासत और सामाजिक मुद्दों को उजागर करेंगे। यह केवल एक मनोरंजन कार्यक्रम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक कूटनीति को सुदृढ़ करने का भी माध्यम है, जो भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु बनाने की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है।

उत्तर-पूर्व भारत को वैश्विक मंच पर लाने की सरकारी पहल के तहत यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने एशिया, यूरोप और अमेरिका में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया है। सिंगापुर का यह आयोजन उसी श्रृंखला की एक और महत्वपूर्ण कड़ी है।

उत्सव में नागालैंड, मिज़ोरम और मणिपुर के लोकनृत्य, और विभिन्न राज्यों के हस्तशिल्प प्रदर्शनी भी शामिल हैं, जो क्षेत्र की सदियों पुरानी सांस्कृतिक परंपराओं को उजागर करेंगे। इसके माध्यम से उत्तर-पूर्व भारत को एक एकीकृत इकाई के रूप में नहीं, बल्कि भाषाओं, संस्कृतियों और पहचानों के रंगबिरंगे मिश्रण के रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।

स्थानीय कलाकारों के लिए यह केवल एक मंच नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नेटवर्किंग और सहयोग के अवसर भी लेकर आता है। उत्तर-पूर्व भारत के कई कलाकारों को अब तक अपनी प्रतिभा को वैश्विक दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने का मौका नहीं मिला। ऐसे आयोजनों से यह स्थिति बदलने की उम्मीद की जा रही है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को आकर्षित करने से पर्यटन और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

इस उत्सव में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम भी देखने को मिलेगा। जुबिन गर्ग जहां लोकधुनों को आधुनिक अंदाज़ में प्रस्तुत करते हैं, वहीं मेबा और बरकुंग अपने रैप और हिप-हॉप में भी स्थानीय सोच और संवेदनाओं को पिरोते हैं। इससे न केवल युवाओं को जोड़ने में मदद मिलती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को भी उत्तर-पूर्व भारत की सांस्कृतिक गहराई को समझने का अवसर मिलता है।

कार्यक्रम में भाग ले रहे कलाकार इसे अपनी माटी का प्रतिनिधित्व करने का गर्वपूर्ण अवसर मान रहे हैं। जुबिन गर्ग ने कहा कि विदेश में प्रस्तुति देना हमेशा खास होता है, क्योंकि यह उन्हें उनके प्रवासी प्रशंसकों से जोड़ता है। मेबा ओफिलिया ने कहा कि उनका उद्देश्य अपने संगीत के माध्यम से खासकर युवतियों को प्रेरित करना है। बरकुंग ह्रांगखाओल ने कहा कि यह मंच शांति, एकता और सांस्कृतिक गर्व का संदेश फैलाने का एक सशक्त माध्यम है।

आयोजकों ने बताया कि भविष्य में मलेशिया, थाईलैंड और जापान जैसे देशों में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसके ज़रिए एक वैश्विक सांस्कृतिक सर्किट तैयार किया जाएगा, जहां उत्तर-पूर्व भारत के कलाकार नियमित रूप से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें।

कुल मिलाकर, सिंगापुर में आयोजित यह सांस्कृतिक उत्सव उत्तर-पूर्व भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यह जहां कलाकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता और अवसर का द्वार खोलता है, वहीं वैश्विक दर्शकों के लिए यह एक दुर्लभ सांस्कृतिक अनुभव है। यह आयोजन सांस्कृतिक विविधता, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भावी साझेदारियों की दिशा में एक सशक्त पहल के रूप में देखा जा रहा है।