नई दिल्ली, 3 सितंबर: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नई दवाओं और क्लीनिकल ट्रायल से जुड़े नियमों को और अधिक सरल व उद्योग-हितैषी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। वर्ष 2019 के न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल्स रूल्स में संशोधन के प्रस्ताव लाए गए हैं, जिनके तहत लाइसेंस प्रक्रिया को सरल बनाने और आवेदन जमा करने की प्रक्रिया को आसान किया जा रहा है। मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित इन संशोधनों को भारत के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित कर दिया गया है और आम जनता से इस पर सुझाव मांगे गए हैं।
प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, अब टेस्ट लाइसेंस की प्रक्रिया को एक नोटिफिकेशन और इंटीमेशन सिस्टम में परिवर्तित किया जाएगा। इसका अर्थ यह है कि आवेदकों को अब लाइसेंस की स्वीकृति के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उन्हें केवल केंद्रीय लाइसेंसिंग अथॉरिटी को सूचित करना होगा और इसके बाद वे क्लीनिकल ट्रायल की प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, लाइसेंस प्रक्रिया की समयसीमा को वर्तमान 90 दिनों से घटाकर 45 दिन कर दिया जाएगा। इससे न केवल आवेदन प्रक्रिया की गति बढ़ेगी, बल्कि लाइसेंस आवेदनों की कुल संख्या में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आएगी।
मंत्रालय का दावा है कि यह नियामक सुधार देश के फार्मास्युटिकल और क्लीनिकल रिसर्च सेक्टर को काफी मजबूती देगा। साथ ही, यह भारत को एक वैश्विक फार्मा और क्लीनिकल रिसर्च हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय की इस पहल का उद्योग जगत और शोधकर्ताओं ने स्वागत किया है। उनका मानना है कि इस कदम से भारत में विदेशी निवेश और अनुसंधान के प्रति रुचि और भी अधिक बढ़ेगी।
