प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक सुरक्षा तक देश सभी क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आकाशवाणी से आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम में राष्ट्र को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की उस रिपोर्ट का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि देश की 64 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को कोई न कोई सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल रहा है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का भी उल्लेख किया जिसमें भारत को आंखों की बीमारी ट्राकोमा से मुक्त घोषित किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उन लाखों स्वास्थ्य कर्मियों के अथक प्रयासों का फल है जिन्होंने इस बीमारी से लड़ाई लड़ी। श्री मोदी ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान और जल जीवन मिशन से भी इसमें काफी मदद मिली है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक सुरक्षा तक हासिल की गई उपलब्धियों से देश में सामाजिक न्याय मजबूत हुआ है। श्री मोदी ने कहा कि इन सफलताओं ने यह विश्वास जगाया है कि आने वाला समय और बेहतर होगा जिससे भारत हर कदम पर और सशक्त होगा।
आपातकाल का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जनभागीदारी के माध्यम से बड़े से बड़े संकटों का मुकाबला किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपातकाल लगाने वालों ने न सिर्फ संविधान की हत्या की बल्कि उनका इरादा न्यायपालिका को भी अपना गुलाम बनाने का था। श्री मोदी ने कहा कि इस दौरान कई लोगों को कठोर यातनाएं दी गई। छात्रों को परेशान किया गया और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोटा गया। उन्होंने कहा कि यह भारत की जनता का सामर्थ्य है कि वह झुकी नहीं, टूटी नहीं और लोकतंत्र के साथ कोई समझौता स्वीकार नहीं किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतत: जनता जर्नादन की जीत हुई, आपातकाल हटा लिया गया और आपातकाल थोपने वाले चुनाव हार गए। श्री मोदी ने कहा कि कुछ ही दिन पूर्व आपातकाल थोपे जाने के 50 वर्ष पूरे हुए और देशवासियों ने इसे संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया। उन्होंने कहा कि हमें उन सभी लोगों का श्रद्धापूर्वक स्मरण करना चाहिए जिन्होंने आपातकाल का डटकर मुकाबला किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे हमें संविधान को सशक्त बनाए रखने के लिए निरंतर सजग रहने की प्रेरणा मिलती है।
इस महीने की 21 तारीख को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के संबंध में श्री मोदी ने कहा कि दुनियाभर के करोड़ों लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोग अपने दैनिक जीवन में योग को अपना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विशाखापत्त्नम के समुद्र तट पर तीन लाख से अधिक लोगों ने एक साथ योग किया और दो हजार से अधिक आदिवासी छात्रों ने एक सौ आठ मिनट तक एक सौ आठ सूर्य नमस्कार किए। उन्होंने कहा कि नौसेना के जहाजों पर भी योग की भव्य झलक दिखी। श्री मोदी ने कहा कि तेलंगाना में तीन हजार दिव्यांग साथियों ने एक साथ योग शिविर में भाग लिया और यह दिखाया कि योग किस तरह सशक्तिकरण का माध्यम भी है। उन्होंने कहा कि हर तस्वीर में एक खास बात रही- शांति, स्थिरता और संतुलन। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के योग दिवस का विषय- ‘एक पृथ्वी-एक स्वास्थ्य’ भी बहुत खास था। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि एक दिशा है, जो हमें वसुधैव कुटुंबकम् का एहसास कराती है। श्री मोदी ने कहा कि इस बार के योग दिवस की भव्यता से ज्यादा से ज्यादा लोगों को योग को अपनाने के लिए जरूर प्रेरित करेगी।
श्री मोदी ने कैलास मानसरोवर यात्रा, अमरनाथ यात्रा और जगन्नाथ रथा यात्रा की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक ये यात्राएं एक भारत श्रेष्ठ भारत के भाव का प्रतिबिम्ब हैं। उन्होंने कहा कि ये धार्मिक यात्राएं सेवा के अवसरों का एक महा अनुष्ठान भी होती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोई भी यात्रा होती है, तो जितने लोग यात्रा पर जाते हैं, उससे ज्यादा लोग तीर्थ यात्रियों की सेवा के काम में जुटते हैं। उन्होंने कहा कि लोग जगह-जगह भंडारे और लंगर तथा सड़कों के किनारे प्याऊ लगवाते हैं। सेवा भाव से चिकित्सा शिविर और सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है।
श्री मोदी ने कहा कि आज असम में बोडोलैंड एक नई पहचान के साथ सामने आया है। उन्होंने कहा कि बोडोलैंड के युवाओं में जो ऊर्जा और आत्मविश्वास है, वह फुटबॉल के मैदान में सबसे अधिक दिखता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बोडो प्रादेशिक क्षेत्र में बोडोलैंड सीईएम कप का आयोजन हो रहा है, जो एकता और उम्मीद का उत्सव बन गया है। उन्होंने कहा कि तीन हजार सात सौ से अधिक टीमें और करीब 70 हजार खिलाड़ी और उनमें भी बड़ी संख्या में बेटियों ने भागीदारी बोडोलैंड में हो रहे बड़े बदलाव की गाथा सुना रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि अब बोडोलैंड देश के खेल नक्शे पर अपनी चमक और बढ़ा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह भारत क्षेत्रीय, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है उसी तरह कला, शिल्प और कौशल की विविधता भी हमारे देश की एक बड़ी खूबी है। मेघालय की एरी सिल्क का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह मेघालय की एक धरोहर है जिसे हाल ही में जीआई टैग भी मिला है। श्री मोदी ने कहा कि मेघालय की जनजातियों ने विशेषकर खासी समाज के लोगों ने इसे पीढि़यों से सहेजकर रखा है और अपने कौशल से समृद्ध किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सिल्क को हासिल करने के लिए रेशम के कीड़ों को मारा नहीं जाता, इसलिए इसे अहिंसा सिल्क भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि आजकल दुनिया में ऐसे उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है जिनमें हिंसा न हो और प्रकृति पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े। मेघालय का एरी सिल्क इसका एक सर्वोत्तम उदाहरण है। श्री मोदी ने खादी और हस्तशिल्प का उल्लेख करते हुए वोकल फॉर लोकल का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि ग्राहक देश में ही बने उत्पाद खरीदें और व्यापारी भारत में बने उत्पादों को बेचें तो आत्मनिर्भर अभियान को नई ऊर्जा मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास का मंत्र भारत का नया भवष्यि गढ़ने के लिए तैयार है। देश की महिलाएं न सिर्फ अपने को बल्कि पूरे समाज को नई दिशा दे रही हैं। तेलंगाना की भद्राचलम की महिलाओं की सफलता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जो महिलाएं कभी खेतों में मजदूरी करती थी वे अब श्रीअन्न से बिस्कुट बना रही हैं। ये बिस्कुट हैदराबाद से लंदन तक जा रहे हैं। इन्होंने गिरी सैनिटरी पैड्स का उत्पादन भी किया है। सिर्फ तीन महीनों में 40 हजार पैड्स तैयार किए गए जिन्हें बहुत ही सस्ती कीमत पर स्कूलों और आसपास के कार्यालयों में पहुंचाया गया। श्री मोदी ने कर्नाटक के कलबुर्गी की महिलाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्होंने ज्वार की रोटी को एक ब्रांड बना दिया है। इनके द्वारा बनाई गई सहकारी संस्था हर रोज तीन हजार से ज्यादा रोटियां बना रही हैं। इन रोटियों की खुशबू अब सिर्फ गांव तक ही सीमित नहीं है बल्कि इनके लिए बेंगलूरू में भी एक विशेष काउंटर खोला गया है। ऑनलाइन आर्डर के जरिए कलबुर्गी रोटी अन्य बड़े शहरों तक भी पहुंच रही हैं।
मध्य प्रदेश की सुमा उइके का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्होंने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आत्मनिर्भरता हासिल की। आय बढ़ने के साथ ही उन्होंने अपने व्यवसाय का विस्तार भी किया। श्री मोदी ने कहा कि छोटे से प्रयास से शुरू हुआ यह सफर अब दीदी कैंटीन और थर्मल थैरेपी सेंटर तक पहुंच चुका हैं। उन्होंने कहा कि देश के कोने कोने में ऐसी अनगिनत महिलाएं अपना और देश का भाग्य बदल रही हैं।
श्री मोदी ने कहा कि पिछले महीने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष भारत से वियतनाम ले जाए गए और उन्हें नौ स्थानों पर जनता के दर्शन के लिए रखा गया था। भारत की ये एक पहल वियतनाम के लिए राष्ट्रीय उत्सव बन गई और करीब दस करोड़ लोगों की आबादी वाले वियतनाम में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन किए। इनमें वियतनाम के राष्ट्रपति, उप-प्रधानमंत्री, वरिष्ठ मंत्री भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में वियतनाम के बहुत से लोगों ने विभिन्न माध्यमों से संदेश भेजकर भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन कराने के लिए भारत के प्रति अपना आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों को थाईलैंड और मंगोलिया ले जाया गया था और वहां भी श्रद्धा का यही भाव देखा गया। श्री मोदी ने लोगों से आग्रह किया कि वे अपने राज्य के बौद्ध स्थलों की यात्रा अवश्य करें।
इस महीने के शुरू में आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस के संदर्भ में श्री मोदी ने पुणे के श्री रमेश खरमाले की चर्चा की, जिन्होंने अपने परिवार के साथ मिलकर जुन्नर की पहाडि़यों में सिर्फ दो महीनों में 70 खाइयां बना दीं, ताकि वहां पानी को रोका जा सके और बीज बोए जा सकें। उन्होंने कहा कि श्री खरमाले ने कई सारे छोटे तालाब बनाए हैं, सैंकड़ों पेड़ लगाएं हैं और एक ऑक्सीजन पार्क भी बनवा रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि यहां अब पक्षी लौटने लगे हैं और वन्य जीवन को नई सांसें मिल रही हैं।
प्रधानमंत्री ने गुजरात के अहमदाबाद शहर में नगर निगम के लाखों पेड़ लगाने के अभियान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस अभियान की एक खास बात है – सिंदूर वन। यह वन ऑपरेशन सिंदूर के वीरों को समर्पित है और सिंदूर के पौधे उन बहादुरों की याद में लगाए जा रहे हैं, जिन्होंने देश के लिए सब कुछ समर्पित कर दिया। श्री मोदी ने कहा कि एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत देश में करोड़ों पेड़ लगाए जा चुके हैं। उन्होंने लोगों से अपने गांव या शहर में चल रहे ऐसे अभियान में भी अनिवार्य रूप से हिस्सा लेने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटी-छोटी आदतें जब सामूहिक संकल्प बन जाती हैं, तो बड़ा बदलाव तय हो जाता है। उन्होंने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर जिले की पाटोदा ग्राम पंचायत की चर्चा की, जो कार्बन मुक्त है। उन्होंने कहा कि इस ग्राम पंचायत में हर घर से कचरा इकट्ठा करने की पूरी व्यवस्था है और कोई अपने घर के बाहर कचरा नहीं फेंकता। यहां गंदे पानी का शोधन भी होता है और बिना साफ किए कोई पानी नदी में नहीं जाता।
