अगरतला, 23 जून: राजधानी के लक्ष्मीनारायण बाड़ी मंदिर में आज अंबुबाची के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। महिलाएं परिवार और समाज की खुशहाली की कामना के लिए सिंदूर खेलने में व्यस्त हैं।
संयोग से, अंबुबाची शब्द अंबु और बाची दो शब्दों से मिलकर बना है। अंबु का अर्थ है पानी और बाची का अर्थ है झरना। शास्त्रों के अनुसार, अंबुबाची महिलाओं की शक्ति और उनकी संतान देने की क्षमता को दर्शाता है। हर साल जून में अंबुबाची के अवसर पर लाखों लोग मां कामाख्या के मंदिर में जुटते हैं। देश-विदेश से साधु-संत आते हैं। श्रद्धालु देश भर के विभिन्न मंदिरों में चार दिनों तक पूजा-अर्चना करते हैं। महिलाएं खास तौर पर अपने पति, बच्चों और परिवार की खुशहाली के लिए पूजा करती हैं। इन चार दिनों के लिए अगरतला के लक्ष्मीनारायण बाड़ी में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। अपने पति की खुशहाली के लिए महिलाएं चार दिनों तक लक्ष्मीनारायण बाड़ी में पूजा-अर्चना करती हैं और सिंदूर खेलती हैं।
इस पर्व के अवसर पर आज से राज्य के विभिन्न मंदिरों में सदबद सिंदूर खेल शुरू हो गया है। इस दिन राजधानी के लक्ष्मीनारायण बाड़ी मंदिर में महिलाएं सिंदूर खेलती हैं। वे अपने परिवार और समाज की खुशहाली के लिए सिंदूर खेलती हैं। पौराणिक इतिहास में कहा जाता है कि अंबुबाची के तीन दिनों तक कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। किसान भी इन तीन दिनों तक जमीन पर हल नहीं चलाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह जमीन को आराम देने का एक तरीका है। सदियों से ऐसा ही होता आ रहा है।
