मालदीव एक्सपो 2025: विश्व का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं भारत की पारंपरिक शिल्पकला और स्वदेशी उत्पाद

भारत की पारंपरिक शिल्पकला और स्वदेशी उत्पादों का समृद्ध इतिहास मालदीव एक्सपो 2025 में विश्व का ध्यान आकर्षित कर रहा है। यह आयोजन 31 मई तक जारी रहेगा। इसकी शुरुआत मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने की। इस आयोजन में भारत की ओर से एक जीवंत उपस्थिति है, जो भारत सरकार के ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ अभियान के तहत प्रदर्शित हो रही है।

कर्नाटक के हस्तनिर्मित चन्नापटना खिलौनों से लेकर लद्दाख के सुगंधित सीबकटोर और बकव्हीट चाय तक, भारतीय पवेलियन मुख्य आकर्षण बना हुआ है। इन उत्पादों के पीछे अद्भुत कहानियां हैं—कलाकारों और उद्यमियों की, जो सांस्कृतिक विरासत को संजोते हुए सतत जीवनयापन को बढ़ावा दे रहे हैं।

एक नज़र आकर्षित कर रहा है शिखा की करियागड़ि की जीवंत प्रदर्शनी, जो कि एक ब्रांड है। यह भारतभर के कारीगरों को कपड़े और लूम के साथ जोड़ता है, ताकि अनूठे हस्तनिर्मित पेंटेड परिधानों का निर्माण हो सके। एक्सपो में, उसकी स्टॉल पर वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट-संस्कृत पत्ताचित्र, मधुबनी और कलमकारी साड़ियों और स्टोल्स के साथ-साथ हाथ से पेंट किए गए जूते और “आर्ट ज़ोन” में टोपी और मफलर कस्टमाइजेशन का भी आयोजन है। शिखा का सपना है भारत की हस्तशिल्प परंपराओं को विश्व स्तर पर ले जाना, हर सिलाई में हस्तनिर्मित कला का जश्न मनाना।

एक और प्रेरणादायक कहानी है बेंगलुरु के वरिष्ठ कारीगर सैयद अब्दुल कादर की, जिन्होंने अपने 30 वर्षों के अनुभव में लकड़ी के हस्तशिल्प को संजोया है। अपने पिता से मिले पारंपरिक चन्नापटना खिलौना बनाने की तकनीक को बनाए रखते हुए, उन्होंने आठ कारीगरों को प्रशिक्षित भी किया है ताकि यह परंपरा जीवित रहे। उनकी प्रतिबद्धता उन्हें भारत की जीवित विरासत का प्रतीक बनाती है और सांस्कृतिक स्थिरता के अग्रदूत के रूप में देखा जाता है।

लद्दाख की निमा गूस गूस वेंचर्स की संस्थापक पद्मा अंगमो का सफर भी उल्लेखनीय है। उनका उद्देश्य सिर्फ उच्च गुणवत्ता वाली चाय का उत्पादन ही नहीं है, बल्कि वह स्थानीय किसानों को सशक्त बनाने, उनके फसलों के उचित मूल्य सुनिश्चित करने और हिमालयी कृषि परंपराओं को संरक्षण देने का भी प्रयास कर रही हैं। हर उत्पाद में जीवित रहने की कहानी, पर्यावरण के साथ सामंजस्य और समुदाय का गर्व झलकता है। पद्मा का सपना है कि युवा भारतीयों को खेती को सम्मानजनक और प्रभावशाली उद्यम के रूप में देखने के लिए प्रेरित किया जाए।

इस वर्ष के एक्सपो का विशेष फोकस स्व-सहायता समूहों पर है। ओडिशा की पांच स्व-सहायता समूहों द्वारा बनाए गए सात विशिष्ट वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट उत्पाद, सारस एक्सपो में प्रदर्शित किए गए हैं। ये उत्पाद केंद्र स्तर पर उद्यमिता, नवाचार और समुदाय की शक्ति का उदाहरण हैं, जो केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट अभियान के तहत विकसित किए गए हैं।

इन कारीगरों और उद्यमियों का समागम भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का सार प्रस्तुत करता है जहां हर वस्तु एक कहानी कहती है, हर उत्पाद एक विरासत को संजोता है, और हर संवाद आपसी सम्मान और समझ को गहरा करता है।