संकट के समय सर्वाधिक उजागर हुई रतन टाटा की राष्ट्र-भक्तिः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि उद्योगपति और परोपकारी रतन टाटा के जीवन से यह प्रेरणा मिलती है कि सच्‍चे नेतृत्‍व का आकलन किसी की उपलब्धियों से नहीं, बल्कि सबसे कमजोर व्‍यक्ति‍ का ध्‍यान रखने की उसकी क्षमता से होता है। एक राष्‍ट्रीय दैनिक में छपे अपने आलेख में श्री मोदी ने कहा है कि रतन टाटा को इस भौतिक संसार से अलविदा हुए एक महीना बीत चुका है, लेकिन उनकी अनुपस्थिति न केवल भारत में, बल्कि विश्‍वभर में समाज के प्रत्‍येक वर्ग को महसूस हो रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि रतन टाटा उन लोगों की स्‍मृतियों में जीवित रहेंगे, जिनके लिए उन्‍होंने काम किया और सपने बुने। श्री मोदी ने कहा कि जाने-माने उद्योगपति, उभरते हुए उद्य‍मी और परिश्रमी व्‍यवसायी उनके जाने का शोक मना रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि रतन टाटा युवा‍ओं के लिए प्रेरणा थे और वे इस बात के प्रतीक थे कि सपनों को साकार किया जा सकता है और करुणा तथा मानवता के साथ सफलता प्राप्‍त की जा सकती है।

    प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि रतन टाटा राष्‍ट्र के स्‍टार्टअप-इको-सिस्‍टम का नेतृत्‍व करने के लिए प्रसिद्ध हो गए थे। उन्‍होंने कहा कि प्रमुख उद्योगपति, युवा उद्यमियों की आशाओं और आकांक्षाओं को समझते थे और देश के भविष्‍य को आकार देने में उनकी क्षमता को पहचानते थे।

    श्री मोदी ने कहा कि रतन टाटा की राष्ट्र भक्ति संकट के समय सर्वाधिक उजागर हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुम्‍बई में 26/11 की घटना के बाद ताज होटल को तेज़ी से फिर से खोलना इस बात का प्रमाण था कि उन्‍होंने भारत राष्‍ट्र की आवश्‍यकता को समझा और आतंकवाद के खिलाफ झुकने से इन्‍कार कर दिया। श्री मोदी ने उन दिनों को याद किया जब उन्‍होंने गुजरात में रतन टाटा के साथ मिलकर काम किया था, जहां उद्योगपति ने भारी निवेश किया था।

    प्रधानमंत्री ने स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, विशेष रूप से कैंसर के खिलाफ लड़ाई में उनके योगदान को याद किया। श्रीमोदी ने स्‍मरण किया कि दो साल पहले असम में उन्‍होंने संयुक्‍त रूप से विभिन्‍न कैंसर अस्‍पतालों का उद्घाटन किया था।

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