पिछले धनतेरस से इस धनतेरस तक सोने ने दिया बंपर रिटर्न, निवेशकों को 30 प्रतिशत से ज्यादा का मुनाफा

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (हि.स.)। आज पूरे देश में धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है। धनतेरस के साथ ही 5 दिन तक चलने वाले दीपोत्सव की शुरुआत हो गई है। आज का दिन परंपरागत रूप से सोने और चांदी की खरीदारी के लिए काफी शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन सोने और चांदी की खरीदारी से पूरे साल लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। मान्यताएं अपनी जगह पर हैं, लेकिन अगर सोने और चांदी में निवेश की बात करें, तो जिन लोगों ने पिछले साल धनतेरस के दिन सोने में निवेश किया था, उन्हें 1 साल में करीब 30 प्रतिशत से अधिक का फायदा हो चुका है। यानी सोने में निवेश करने वाले निवेशकों पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रही है।

पिछले साल धनतेरस के दिन दिल्ली सर्राफा बाजार में 24 कैरेट सोने की कीमत 60,750 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जो इस धनतेरस तक उछल कर 79,940 रुपए प्रति 10 ग्राम तक जा चुकी है। सोने की कीमत का ये हाल तब है, जब आज और कल यानी सोमवार और मंगलवार दोनों ही दिन इसकी कीमत में गिरावट आई है। इस चमकीली धातु की कीमत दो दिन पहले रविवार को 80,440 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंची हुई थी।

अगर आज के रेट के हिसाब से ही सोने की कीमत में आई तेजी का अंदाजा लगाएं, तो पिछले धनतेरस से लेकर इस धनतेरस के बीच सोने की कीमत में 31.59 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है। सोने के निवेश से मिला ये रिटर्न शेयर बाजार से मिलने वाले रिटर्न से भी अधिक है। इस 1 साल की अवधि में शेयर बाजार में ओवरऑल 23.5 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। ऐसी स्थिति में माना जा सकता है कि धनतेरस से लेकर धनतेरस के बीच सोना ने निवेशकों को तुलनात्मक तौर पर अधिक कमाई कराई है।

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोने के भाव में आई तेजी की एक बड़ी वजह जियो पोलिटिकल टेंशन है। इसके साथ ही दुनिया के कई केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती करना और सोने की खरीददारी करके अपने गोल्ड स्टॉक को बढ़ाने की कोशिश करना भी इस चमकीली धातु की कीमत में आई तेजी की प्रमुख वजह है। बुलियन मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन का कहना है कि पिछले करीब एक साल से वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगातार झटके लगते रहे हैं। जियो पॉलिटिकल टेंशन के कारण भी ग्लोबल इकोनामिक की रफ्तार घटी है इसकी वजह से दुनिया भर के निवेशक फिलहाल सेफ इन्वेस्टमेंट के रूप में सोने की खरीदारी पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। इसके साथ ही हाई इन्फ्लेशन का दौर खत्म होने के बाद अब कई देशों के केंद्रीय बैंक अपनी मॉनेटरी पॉलिसी को लचीला बनाते हुए ब्याज दरों में कमी कर रहे हैं। ब्याज दरों में कमी होने की वजह से भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत को काफी सपोर्ट मिला है।

मयंक मोहन के अनुसार वैश्विक वजहों के साथ भारत में फेस्टिवल सीजन की डिमांड ने भी सोने की कीमत में तेजी ला दी है। नवरात्रि और उसके बाद धनतेरस और दिवाली के मौके पर आम तौर पर देश में सोने की खरीद काफी बढ़ जाती है। दिवाली के कुछ दिन बाद ही देश में वेडिंग सीजन शुरू हो जाता है। इस दौरान भी सोने की बड़े पैमाने पर खरीद की जाती है। सोने की मांग में तेजी आने के कारण इसकी कीमत भी लगातार तेज होती है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि भारत में परंपरागत तौर पर सोने की खरीदारी को परिवार में समृद्धि का संकेत माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सोने की खरीद करने से परिवार की खुशियां बढ़ती है। इस वजह से भी धनतेरस या दिवाली के मौके पर लोग कम मात्रा में ही सही, लेकिन सोने चांदी की खरीदारी करने की कोशिश जरूर करते हैं। इस वजह से भी देश में सोने की मांग में तेजी आई है और ये चमकीली धातु ऑल टाइम हाई के करीब पहुंच कर कारोबार कर रही है।

हालांकि मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले धनतेरस से लेकर इस धनतेरस के बीच सोने की कीमत में आई जोरदार तेजी का मतलब ये कतई नहीं है कि अगले धनतेरस तक भी सोने की चाल इसी तरह तेज बनी रहेगी। सोने की कीमत पर अंतरराष्ट्रीय बाजार की परिस्थितियों का काफी असर पड़ता है। जियो पॉलिटिकल टेंशन घटने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत में गिरावट भी आ सकती है। इसलिए सोने की खरीदारी करने के पहले विशेष रूप से छोटे और खुदरा निवेशकों को हर पहलू का सही तरीके से विश्लेषण जरूर कर लेना चाहिए।

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