नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (हि.स.)। घरेलू शेयर बाजार आज एक बार फिर बड़ी गिरावट का शिकार हो गया। आज के कारोबार में सेंसेक्स इंट्रा-डे में जहां ऊपरी स्तर से 1,115 अंक तक टूट गया, वहीं निफ्टी ने भी ऊपरी स्तर से 366 अंक तक का गोता लगाया। आज के कारोबार में निवेशकों को 6.36 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का सामना करना पड़ा।
जानकारों का मानना है कि आज विदेशी निवेशकों की बिकवाली, कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे, एफएमसीजी सेक्टर पर बढ़ा दबाव और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अनिश्चितता ने शेयर बाजार को ध्वस्त करने पर बड़ी भूमिका निभाई।
अलकनंदा फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ रमेश गौतम के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सितंबर के आखिरी कारोबारी दिन यानी 30 सितंबर से ही अंधाधुंध बिकवाली कर रहे हैं। विदेशी निवेशकों की चौतरफा पर बिकवाली के कारण बाजार का सेंटीमेंट लगातार बिगड़ा हुआ है। 30 सितंबर से लेकर आज तक विदेशी निवेशकों ने हर दिन मुख्य रूप से बिकवाल की भूमिका निभाई है। इस महीने अभी तक विदेशी संस्थागत निवेशक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली कर चुके हैं। घरेलू शेयर बाजार के इतिहास में पहली बार विदेशी संस्थागत निवेशकों ने किसी एक महीने में इतनी अधिक बिकवाली की है। इस बिकवाली के कारण निवेशक शॉर्ट टर्म में और अधिक गिरावट आने की आशंका को लेकर डरे हुए हैं।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली के पीछे रमेश गौतम मुख्य रूप से दो वजह मानते हैं। इनमें से एक वजह मिडिल ईस्ट में जारी तनाव है। वैश्विक स्तर पर माना जा रहा है कि ये तनाव आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है। खासकर, इजराइल कभी भी ईरान द्वारा किए गए मिसाइल हमले का बदला लेने के लिए जवाबी कार्रवाई कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो मिडिल ईस्ट का तनाव और बढ़ेगा, जिससे वैश्विक संकट की स्थिति बन सकती है। यही कारण है कि विदेशी निवेशक अपना पैसा सुरक्षित करने के लिए दुनिया भर के स्टॉक मार्केट में बिकवाली कर रहे हैं।
रमेश गौतम के अनुसार मिडिल ईस्ट के तनाव के साथ ही एक वजह चीन की सरकार द्वारा हाल के दिनों में राहत पैकेज का ऐलान करना भी है। चीन के राहत पैकेज के बाद वहां के स्टॉक मार्केट में जोरदार तेजी आ गई है, जिसके कारण कई विदेशी निवेशक दुनिया के अन्य देशों के स्टॉक मार्केट से अपना पैसा निकाल कर चीन के स्टॉक मार्केट में लगा रहे हैं। मिडिल ईस्ट का तनाव और चीन का आर्थिक सुधार, ये दोनों ऐसी वजहें हैं, जिनका असर लंबे समय तक रह सकता है। ऐसी स्थिति में विदेशी निवेशक आने वाले दिनों में भी भारतीय शेयर बाजार में बिकवाल की भूमिका बनाए रख सकते हैं, जिससे स्टॉक मार्केट पर लगातार दबाव बना रहेगा।
इसी तरह अग्रवाल एंड अग्रवाल सिक्योरिटीज सर्विसेज के पार्टनर रामदास अग्रवाल का कहना है कि भारत में कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों की वजह से भी शेयर बाजार में निवेशकों का उत्साह गिरा है। आज इंडसइंड बैंक के तिमाही नतीजे ने पूरी तरह से बाजार का मूड बिगाड़ दिया। इस बैंक के शेयर आज 18.63 प्रतिशत टूट गए, जिसकी वजह से देश की 10 टॉप मार्केट वैल्यू वाली कंपनियां की सूची से भी इंडसइंड बैंक का नाम हट गया। इंडसइंड बैंक के खराब नतीजे के कारण बाजार में इसके शेयरों को बेचने की होड़ लगी रही, जिसकी वजह से मार्केट सेंटीमेंट पर निगेटिव असर पड़ा।
रामदास अग्रवाल के अनुसार आमतौर पर शेयर बाजार में उथल-पुथल होने पर एफएमसीजी सेक्टर के शेयरों की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि इन्हें आमतौर पर निवेश के लिहाज से सेफ सेक्टर माना जाता है। लेकिन अक्टूबर के महीने में एफएमसीजी सेक्टर भी लगातार दबाव में बना हुआ नजर आ रहा है। इस सेक्टर को बढ़ते इनपुट कॉस्ट से जूझना पड़ रहा है, जिसकी वजह से उनके प्रॉफिट मार्जिन पर असर पड़ा है। एफएमसीजी सेक्टर के दबाव में आने की वजह से भी घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक माहौल बना हुआ है।
शेयर मार्केट में आई गिरावट के लिए धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव को भी एक बड़ी वजह मानते हैं। धामी का कहना है कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। चुनाव पूर्व के रुझानों में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद जताई जा रही है। माना जा रहा है कि इस बार अमेरिका में चुनाव के अप्रत्याशित नतीजे आ सकते हैं, जिसकी वजह से अमेरिकी बाजार समेत दुनिया भर के शेयर बाजारों में जोरदार उतार चढ़ाव की स्थिति बन सकती है। ऐसा हुआ तो घरेलू शेयर बाजार भी इससे प्रभावित होगा। इसीलिए घरेलू बाजार के निवेशक अभी से ही सतर्क होकर कारोबार करने लगे हैं।
प्रशांत धामी का ये भी कहना है कि इस हफ्ते अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में भी बढ़ोतरी हुई है, जिसे एशियाई बाजारों के लिहाज से नकारात्मक संकेत माना जाता है। इन वजहों से भी घरेलू शेयर बाजार में आज निराशा का माहौल बना रहा। हालांकि कारोबार के आखिरी घंटे में खरीदारी होने से निवेशकों का नुकसान कुछ कम जरूर हो गया लेकिन आने वाले दिनों में बाजार पर लगातार दबाव बने रहने की आशंका कायम है।