शरद पूर्णिमा उत्सव पर हुए उपद्रव को लेकर समाज में वैमनस्य फैलाने का अभियान हुआ फेल

जयपुर, 24 अक्टूबर (हि.स.)। प्रदेश की राजधानी में शरद पूर्णिमा (17 अक्टूबर) को रजनी विहार क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (रा.स्व.संघ) के आयोजन में किए गए उपद्रव करने को लेकर दुष्प्रचार की बहुत कोशिश की गई। हालांकि, संघ नेतृत्व की सूझबूझ और जागरुकता की वजह से हर मोर्च पर ऐसा करने वालों को मुंह की खानी पड़ी। संघ विरोधी एजेंडा चलाने वाले संगठनों और समूहों ने पहले इस असामाजिक कृत्य को हिन्दू बनाम मुस्लिम रंग देने की कोशिश की, फिर संघ बनाम जाट का रूप देने की कोशिश की। इसके बावजूद उनका कुत्सित प्रयास विफल हो गया और जयपुर के समाज के संभ्रांत लोगों ने ही अफवाह फैलाने वालों और समाज को भड़काने वालों के प्रयासों का मुंहतोड़ उत्तर देना शुरू कर दिया है।

इस पूरे प्रकरण में एडवोकेट वीरेन्द्र चौधरी ने साफ तौर पर कहा, “कुछ लोग माहौल खराब करना चाहते थे। इस घटना में पूरे जाट समाज को घसीटना गलत है। समाज का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति असामाजिक तत्वों के साथ नहीं खड़ा है। जिसने गलत किया है, वह भुगतेगा। भ्रामक प्रचार करने वालों के खिलाफ हम कानूनी कार्रवाई करेंगे।”

भ्रामक अभियान चलाने वाले हुए फेल

17 अक्टूबर को रजनी विहार क्षेत्र के शिव मंदिर में आयोजित शरद पूर्णिमा उत्सव के दौरान मंदिर के निकट ही रहने वाले नसीब चौधरी और उसके परिजनों ने उपद्रव किया और वहां इस उत्सव के लिए बन रही खीर को लात मारकर गिरा दिया। घटना के बाद से एक एजेंडा बनाकर कुछ लोग नसीब चौधरी के खिलाफ की गई कानूनी कार्रवाई को गलत बता रहे हैं। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक अभियान चलाया गया कि नसीब चौधरी को सिर्फ इसलिए फंसाया गया, क्योंकि वह जाट है। दुष्प्रचार किया जा रहा था कि मंदिर में रात दस बजे तक डीजे बज रहा था। नसीब पहलवान की पत्नी ने रोका तो संघ के कार्यकर्ताओ ने उनके साथ बदतमीजी की। झूठ फैलाया गया कि भीड़ ने नसीब के घर पर पत्थरबाजी की तथा निहत्थे लोगों पर हमला किया गया।

इस संबंध में स्थानीय निवासी मूलसिंह खंगारोत बताते हैं, “ हम लोग मंदिर में शांतिपूर्ण तरीके से भजन और हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे। इसी दौरान नसीब चौधरी और अन्य साथियों ने भगोने को लात मारकर खीर फैला दी और धारदार हथियार से लोगों पर हमला कर दिया।”

कार्यक्रम में शामिल रहे एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी प्रहलाद चौधरी बताते हैं, “कुछ लोग आरएसएस को बदनाम करने का अपना सेट एजेंडा चलाने के लिए घटना को आरएसएस बनाम जाट करने की कोशिश में हैं। लेकिन उन्हें यह पता होना चाहिए कि प्रसाद को ठोकर मारने वाले के साथ कौन सनातनी खड़ा होगा। असामाजिक तत्वों की कोई जाति नहीं होती है। जाट तो मैं स्वयं भी हूं। मैं भी कार्यक्रम में था, गलत तो गलत ही होता है। कोई घर नहीं तोड़ा है, मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण था, उसे हटाया गया है। इसमें घर तोड़ने वाली बात ही नहीं है। राजनीतिक लाभ के लिए लोग इस बात को ज्यादा तूल दे रहे हैं।”

घटना की सच्चाई

शिव मंदिर में शरद पूर्णिमा पर समाजोत्सव के रूप में बस्ती के लोग कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक भी भाग लेते हैं। कार्यक्रम के बाद प्रसाद के रूप में खीर वितरित की जाती है। स्थानीय लोग ही अब सामने आकर बताने लगे हैं कि घटना के दिन मंदिर में कोई डीजे (साउंड सिस्टम) नहीं बज रहा था बल्कि वहां बिना डीजे के ही जागरण हो रहा था। इस पर भी नसीब चौधरी को आपत्ति थी। नसीब पहलवान का लोगों में भय इतना ज्यादा था कि मंदिर में रात आठ बजे बाद कोई घंटी नहीं बजा सकता। मंदिर में होने वाली आरती को लेकर भी वह कई बार विरोध कर चुका था। वह आए दिन श्रद्धालुओं से झगड़ता था। स्थानीय निवासियों ने इसकी कई बार शिकायत भी की थी। वह लोगों को डरा-धमकाकर मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा जमा रहा था।

कार्यक्रम में मौजूद हरेन्द्र चौधरी बताते हैं- कुछ लोग नसीब सिंह को पीड़ित बता रहे हैं, जबकि कार्यक्रम में जाट समाज के लोग भी मौजूद थे। नसीब ने हमला करते वक्त समाज देखकर हमला नहीं किया था। हरेन्द्र आगे बताते हैं- “उस दिन हम सभी मंदिर में भजन कर रहे थे। नसीब का परिवार अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए मंदिर में आया। उसके हाथ में धारदार हथियार और उसके बेटे के हाथ में लट्ठ था। आते ही भगाने को लात मारकर खीर फैला दी। समझाने का प्रयास किया तो हमलाकरों ने आठ लोगों को घायल कर दिया। इसकी सूचना हमने पुलिस को दी। सीसीटीवी फुटेज में खीर के भगोने को लात मारते और लोगों पर हमला करते हुए नसीब और उसके साथी स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।”

स्थानीय पार्षद गणेश चौधरी ने इस मामले में कहा- “मंदिर में शरद पूर्णिमा का कार्यक्रम शांतिपूर्ण चल रहा था। यह सामाजिक कार्यक्रम था। नसीब चौधरी को इसमें उपद्रव करने की कोई आवश्यकता नहीं थी, उसने खीर के भगोने को लात मारी। लोगों पर धारदार हथियार से हमला किया। यह उसकी बहुत बड़ी गलती है। इसकी सजा नसीब को मिलनी ही चाहिए। जो लोग इस घटना को लेकर भ्रम फैला रहे हैं, इसके माध्यम से जाट और संघ में वैमनस्य पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं, उनके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। इस घटना में स्थानीय निवासी कोई भी नसीब के साथ नहीं हैं।”

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

यह घटना सामने आने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर नसीब चौधरी, बेटा भीष्म चौधरी और पत्नी निर्मला चौधरी को गिरफ्तार किया। इसके अलावा जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने नसीब चौधरी द्वारा मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण कर किए गए अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया। इस सबके चलते कुछ संघ विरोधी एजेंडा चलाने वालों ने संघ बनाम जाट का अभियान चलाया, जिसके चलते कुछ लोगों ने दिल्ली-अजमेर हाईवे को जाम करने का आयोजन किया। लोग करणी विहार थाने भी पहुंचे और प्रदर्शन किया। लेकिन जल्दी ही सचाई सबके सामने आ गई और स्थानीय समाज के लोगों ने ही दुष्प्रचार की हवा निकाल दी।

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