नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (हि.स.)। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के पहले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘एडवांसमेंट ऑफ़ रिसर्च एंड ग्लोबल ऑपरट्यूनिटी फॉर होलिस्टिक आयुर्वेदा (आरोहा-2024) का शनिवार को समापन हो गया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 15 वैज्ञानिक सत्र आयोजित हुए और 400 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
समापन समारोह में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक डॉ. तनुजा नेसरी ने कहा कि आरोहा-2024 आयुर्वेद की वैश्विक मान्यता के लिए एक मील का पत्थर है। यह सम्मेलन विश्वभर के विशेषज्ञों को एकसाथ लाकर आयुर्वेद के क्षेत्र में नए अवसरों और नवाचारों को प्रोत्साहित करेगा और आयुर्वेद के वैश्विक विस्तार का नेतृत्व कर रहे हैं। नेसरी ने बताया कि इन सत्रों में पारंपरिक औषधियां, गुणवत्ता नियंत्रण, रोग का निदान और आयुर्वेद के वैश्वीकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। सम्मेलन में 30 अंतरराष्ट्रीय वक्ता, 100 राष्ट्रीय वक्ता और 700 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके साथ ही एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें प्रमुख ब्रांड और संस्थानों ने हर्बल उत्पादों का प्रदर्शन, उपचार, समाधान और शोध नवाचारों का प्रदर्शन किया। अ.भा. आयुर्वेद संस्थान की पहुंच 17 से अधिक देशों में है। इसका शैक्षणिक और वैज्ञानिक सहयोग कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (यूके), एफआईजीजेड जर्मनी, एआईएसटी जापान, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया, यूएचएन कनाडा और भारत के प्रमुख संस्थानों जैसे आईजीआईबी, एम्स, सीएसआईआर और आईआईटी के साथ है।
तीन दिवसीय सम्मेलन 17 अक्टूबर को आरंभ हुआ था, जिसमें विश्वभर के विशेषज्ञों और प्रतिभागियों ने प्रत्यक्ष और वर्चुअल माध्यम से भाग लिया। सम्मेलन का मुख्य विषय था- आयुर्वेद में अनुसंधान की प्रगति और वैश्विक अवसर, जिसमें वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान के लिए आयुर्वेद की भूमिका पर गहन चर्चा की गयी। इस सम्मेलन का उद्घाटन भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने किया।