नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि दाे दिन पहले रबी की छह फसलाें के
लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घाेषणा किसानाें के कल्याण में की गई थी। ताकि किसान यह तय कर सकें कि किस फसल का उत्पादन करने से
उनकाे कितना फायदा मिलने वाला है। उन्हाेंने यह भी कहा कि किसानाें की सब्जियाें की उचित कीमत मिल सके इसके लिए राज्य सरकाराें काे प्रयास करने चाहिए। इसके लिए केंद्र सरकार अपने हिस्से का खर्च वहन करने काे तैयार है। वे आज नई दिल्ली स्थित पूसा परिसर में राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन – रबी अभियान 2024 का उद्घाटन समाराेह के अवसर पर बाेल रहे थे।
शिवराज सिंह चौहान ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “हमें उत्पादकता बढ़ाने और रसायनों और उर्वरकों पर निर्भरता कम करने के लिए जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना चाहिए। लक्ष्य है प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाना, जबकि उत्पादन लागत को कम करना और किसानों को उचित मूल्य प्रदान करना।” उन्हाेंने कहा कि परिवहन लागत को कम करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है, ताकि खरीद मूल्य और बिक्री मूल्य के बीच के अंतर को कम किया जा सके। राज्यों को केंद्र के साथ मिलकर कृषि-जलवायु परिस्थितियों के आधार पर उत्पादन बढ़ाने पर काम करना चाहिए, ताकि भारत विश्व का सबसे बड़ा खाद्य भंडार बन सके। 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य 341.55 मिलियन टन होगा।
सम्मेलन में राज्य मंत्री (कृषि) रामनाथ ठाकुर ने राज्यों से अनुरोध किया कि वे बाढ़ और चक्रवात के कारण फसल क्षति से प्रभावित किसानों की सहायता के लिए तुरंत कार्रवाई करें। वरिष्ठ अधिकारियों और शोधकर्ताओं को बाजार में कृषि इनपुट्स की गुणवत्ता का आकलन करना चाहिए। राज्य मंत्री (कृषि) भागीरथ चौधरी ने देश में दालों और तेल बीजों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए लगातार काम करने वाले शोध संगठनों के प्रति आभार व्यक्त किया।
सम्मेलन को कृषि सचिव डॉ देवेश चतुर्वेदी ने राज्याें से कीटनाशकों के ओवरडोज़िंग, बाजार में नकली कीटनाशकों और बीजों के प्रसार पर रोक लगाने की जरूरत पर बल दिया। सचिव उर्वरक ने राज्यों से अनुरोध किया कि वे जैव-फोर्टिफाइड बीजों का उपयोग बढ़ाएं, नई किस्मों और जलवायु-प्रतिरोधी बीजों का प्रयोग करें और उत्पादकता बढ़ाने के लिए बीज प्रतिस्थापन करें।