काठमांडू, 18 अक्टूबर (हि.स.)। नेपाल में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमों को अवैध रूप से प्रवेश कराने में स्थानीय इस्लामी संगठनों का हाथ है। सरकार को सौंपी गई सुरक्षा एजेंसियों की एक रिपोर्ट में इन अवैध घुसपैठियों को नेपाल की नागरिकता भी दिलाए जाने का खुलासा किया गया है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक ये अप्रवासी मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल से जुड़े नेपाल के पूर्वी हिस्से में काकरभिट्टा सीमा क्षेत्र से प्रवेश कर रहे हैं। नेपाल पुलिस की इंटेलिजेंस शाखा ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में बांग्लादेशी मुस्लिमों की मजदूर के रूप में घुसपैठ का भी उल्लेख है। इस रिपोर्ट में नेपाल के इस्लामिक संघ पर मुस्लिम समुदाय को देश में अवैध प्रवेश करवाकर नेपाली नागरिकता दिलाने में मुख्य भूमिका निभाने का आरोप है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामिक संघ इन बांग्लादेशी मुसलमानों की सूची संकलित करके नेपाल मुस्लिम आयोग और उसके अध्यक्ष को भेजकर इस प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाता है। आयोग इन व्यक्तियों को बांग्लादेशी नागरिकों के परिवार के सदस्यों के रूप में गलत तरीके से सत्यापित करता है, जिन्होंने पहले ही नेपाली नागरिकता हासिल कर ली है, जिससे उन्हें कानूनी जांच से बचने की अनुमति मिलती है।
बांग्लादेश और रोहिंग्या मुसलमानों में से कुछ इस्लामिक संघ की मदद से नेपाली पासपोर्ट प्राप्त करने में सफल रहे हैं, और इनमें से कुछ को हाल ही में पकड़ा गया था। नागरिकता प्राप्त करने वाले बांग्लादेशी मुसलमानों की बढ़ती संख्या ने मधेस और तराई क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन के बारे में चिंता बढ़ा दी है। लंबे समय तक नेपाल पुलिस के विशेष ब्यूरो में काम करने वाले नेपाल पुलिस के अवकाश प्राप्त एआईजी पुष्कर कार्की ने बताया कि ये कार्रवाइयां जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान जैसे विदेशी कट्टरपंथी संगठनों के व्यापक एजेंडे का हिस्सा हैं, जो कथित तौर पर इस्लामिक संघ नेपाल के साथ सहयोग करते हैं। इन संगठनों का उद्देश्य अवैध आप्रवासन और नागरिकता हेरफेर के माध्यम से बांग्लादेशी मुसलमानों की आबादी बढ़ाकर दक्षिणी नेपाल में जनसांख्यिकीय संतुलन को बदलना है।
नेपाल में सुरक्षा मामलों के जानकार डॉ. दीपेश केसी ने बताया कि बांग्लादेशी मुसलमानों के लिए नागरिकता सुरक्षित करने के अपने प्रयासों के अलावा, इस्लामिक संघ के नेता कथित तौर पर विभिन्न नेपाली राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ नियमित चर्चा में लगे हुए हैं। माना जाता है कि इन बैठकों के दौरान वे नेपाल में रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों की नागरिकता की स्थिति को वैध बनाने के लिए राजनीतिक हस्तियों पर दबाव डाल रहे हैं, जिससे मामला और जटिल हो गया है।
गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल भी म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या शरणार्थियों की बढ़ती आमद का सामना कर रहा है और 2017 के बाद से बड़ी संख्या में रोहिंग्या नेपाल में प्रवेश कर चुके हैं। गृह मंत्रालय के पास यह तथ्य है कि नेपाल में रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या अब लगभग 800 तक पहुंच गई है। हालांकि नेपाल आधिकारिक तौर पर उन्हें शरणार्थी के रूप में मान्यता नहीं देता है। यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त) ने नेपाल में 370 रोहिंग्या व्यक्तियों को पहचान पत्र जारी किए हैं, जबकि अतिरिक्त 123 आवेदन लंबित हैं। इनमें से कई शरणार्थी अब काठमांडू के बाहरी इलाके में जमीन किराए पर लेना चाह रहे हैं, खासकर ललितपुर के टीकाथली और भक्तपुर के बाहरी इलाके में। इससे नेपाल में ही सुरक्षा और जनसांख्यिकीय चिंताएं भी बढ़ गई हैं।
सरकार को सौंपी गई ताजा रिपोर्ट में नेपाल में सुरक्षा एजेंसियों ने रोहिंग्या शरणार्थियों सहित अवैध अप्रवासियों की बढ़ती आमद पर चिंता जताई है। यह बढ़ती प्रवृत्ति नेपाल की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बन गई है क्योंकि अवैध आप्रवासन से देश के सामाजिक, राजनीतिक और जनसांख्यिकीय ताने-बाने के बाधित होने का खतरा है। सरकार की तरफ से सुरक्षा अधिकारियों से आग्रह किया जा रहा है कि वे मुस्लिम संगठनों द्वारा नेपाल में ऐसे बांग्लादेशी मुसलमानों को बुलाने और उनके रहने की सुविधा प्रदान करने के किसी भी प्रयास को रोककर, सीमा निगरानी को मजबूत करने और अवैध आव्रजन गतिविधियों पर अंकुश लगाने के साथ-साथ शरणार्थी संकट के मानवीय पहलू का प्रबंधन करके इस चुनौती को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करें।