कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अजय सिंह यादव लालू यादव के समधी हैं
चंडीगढ़, 17 अक्टूबर (हि.स.)। पिछले कई दशकों से हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं कांग्रेस ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैप्टन अजय सिंह यादव ने गुरुवार की शाम कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। छह बार रेवाड़ी से विधायक रह चुके अजय सिंह यादव दक्षिण हरियाणा में कांग्रेस का बड़ा चेहरा रहे हैं। अजय राजद नेता लालू प्रसाद यादव के समधी हैं।
विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी हाईकमान तथा हरियाणा की लीडरशिप की अनदेखी किए जाने को लेकर वह आहत चल रहे थे। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को भेजे अपने इस्तीफा की जानकारी अजय यादव ने सोशल मीडिया के जरिए दी है। उनके बेटे एवं पूर्व विधायक चिरंजीव राव ने इसे पिता का व्यक्तिगत फैसला बताते हुए पार्टी में जीवनभर बने रहने की बात कही है। अजय यादव सोनिया गांधी, राजीव गांधी के साथ भी काम कर चुके हैं। अजय राहुल गांधी की कार्यप्रणाली, चुनाव के दौरान हरियाणा कांग्रेस कार्यालय में केंद्रीय कंट्रोल रूम नहीं बनाए जाने तथा उनके हलके में घोषणा के बावजूद हुड्डा के दबाव में राहुल गांधी के नहीं जाने के कारण आहत चल रहे थे। इस संबंध में उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में भी आरोप लगाए थे।
माना जा रहा है कि अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह के बाद सबसे कद्दावर नेता रह चुके कैप्टन अजय सिंह यादव की भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ पटरी नहीं बैठ पा रही थी। उनके हुड्डा के साथ मतभेद वर्ष 2011 में ही उस समय शुरू हो गए थे, जब मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए हुड्डा ने उनसे वित्त विभाग वापस ले लिया था। इसके बाद कई बार कैप्टन हुड्डा की आलोचना करते नजर आए, तो कई बार सराहना करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कैप्टन रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव से पहले उनकी हुड्डा से तल्खियां बढ़ गई थीं। वह गुरुग्राम लोकसभा सीट से चुनाव लडऩा चाहते थे, परंतु हुड्डा ने अपने प्रभाव से उनकी टिकट का रास्ता रोक दिया था। ओबीसी सेल का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद कांग्रेस में उन्हें सम्मान नहीं मिल रहा था। विधानसभा चुनाव में पार्टी के पोस्टरों में भी कैप्टन के फोटो तक नहीं लगाए गए थे, जिस पर कैप्टन ने बाद में खुलकर आपत्ति दर्ज कराई थी।
कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव के चुनाव प्रचार में कांग्रेस की ओर से पार्टी के स्टार प्रचारकों को रेवाड़ी नहीं भेजा गया था। जातिगत समीकरण साधने के लिए कैप्टन ने खुद कुछ प्रभावशाली नेताओं को अपने स्तर पर प्रचार के लिए जरूर बुलाया था। बेटे चिरंजीव राव की हार के बाद से ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के रुख को लेकर कैप्टन नाराज नजर आ रहे थे।