नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शुक्रवार को विज्ञान भवन में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत के 31वें स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करेंगे।
एनएचआरसी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस अवसर पर एनएचआरसी, भारत की कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी और महासचिव भरत लाल तथा आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थिति रहेंगे।
विज्ञप्ति के अनुसार इसके बाद आयोग वृद्धजनों के अधिकारों पर आधारित एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का भी आयोजन करेगा जिसका विषय ‘भारत के बुजुर्गों के लिए संरचनात्मक ढांचे, कानूनी सुरक्षा उपाय, सुरक्षा अधिकार और संस्थागत संरक्षण का आकलन’ होगा। सम्मेलन तीन प्रमुख तकनीकी सत्रों के तहत वृद्ध व्यक्तियों की विभिन्न चिंताओं को संबोधित करेगा जिसमें ‘एजिंग पॉपुलेशन को संबोधित करना,’ ‘एजिंग का लिंग परिप्रेक्ष्य,’ और पर ‘हेल्थकेयर लैंडस्केप-प्रभाव का मूल्यांकन-स्वस्थ जीवन, उत्पादकता और सामाजिक सुरक्षा’ शामिल है। इन सत्रों में प्रख्यात विशेषज्ञ और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारक भाग लेंगे और उन्हें संबोधित करेंगे।
वृद्ध व्यक्तियों के अधिकारों के अलावा आयोग समाज के सभी वर्गों खासकर कमजोर वर्गों से संबंधित अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए काम कर रहा है। 12 अक्टूबर 1993 से 30 सितंबर, 2024 तक अपनी 31 वर्षों की यात्रा के दौरान आयोग ने स्वतः संज्ञान के 2,873 मामलों सहित 23 लाख 5 हजार और 194 मामलों का समाधान किया है और मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 8,731 मामलों में 254 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राहत के भुगतान की सिफारिश की है।
1 अक्टूबर 2023 से 30 सितंबर 2024 तक पिछले एक वर्ष के दौरान, आयोग ने 68,867 मामलों का निपटारा किया और 404 मामलों में मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को वित्तीय राहत के रूप में 17.88 करोड़ रुपये से अधिक की सिफारिश की। इस अवधि के दौरान स्वत: संज्ञान लेते हुए 112 मामले भी दर्ज किए गए। इसके अलावा मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की 19 बार मौके पर जांच की गई।
अपनी स्थापना के बाद से एनएचआरसी, भारत ने कई त्वरित मौके पर जांच, खुली सुनवाई और शिविर बैठकें आयोजित की हैं। असंख्य बिलों और कानूनों, सम्मेलनों और अनुसंधान परियोजनाओं, 31 सलाहों, साथ ही मासिक समाचार पत्रों, हजारों मीडिया रिपोर्टों समेत 100 से अधिक प्रकाशनों की समीक्षा और अंतरराष्ट्रीय मंचों से जुड़ाव, मानव अधिकारों के प्रचार और संरक्षण की दिशा में आयोग के काम की गवाही देती है।