नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (हि.स.)। भारत ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के दौरान उनके नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाए जाने के दावे का खंडन किया है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार दोनों नेताओं के बीच कोई खास चर्चा नहीं हुई है बल्कि भारत की अपेक्षा है कि कनाडा को भारत विरोधी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि लाओस में प्रधानमंत्री मोदी से संक्षिप्त मुलाकात के बाद जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है। उन्होंने दावा किया कि संक्षिप्त मुलाकात के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि उनकी सरकार कनाडा के नागरिकों की सुरक्षा और कानून के शासन को कायम रखना अपना प्रमुख उद्देश्य मानती है और भारत के साथ कनाडा व्यापार सहित विभिन्न क्षेत्रों संबंधों को कायम रखने के साथ ही इस बात पर भी जोर देता है कि इन ‘वास्तविक मुद्दों’ पर गौर किया जाए।
ट्रूडो का बयान आने के बाद विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मोदी और प्रधानमंत्री ट्रूडो के बीच कोई खास बातचीत नहीं हुई। भारत कनाडा के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है लेकिन उसके साथ संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जबतक की कनाडा सरकार भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता।
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार भारत अपेक्षा करता है कि कनाडा की धरती पर भारत विरोधी खालिस्तानी गतिविधियों को अनुमति नहीं दी जाएगी और कनाडाई क्षेत्र से भारत के खिलाफ हिंसा, उग्रवाद और आतंकवाद की वकालत करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। संगठित अपराध, ड्रग सिंडिकेट और मानव तस्करी के साथ ऐसी ताकतों की बढ़ती सांठगांठ कनाडा के लिए भी चिंता का विषय होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का दोष कनाडा सरकार ने भारत मढ़ने की कोशिश की थी। उसके बाद से लगातार टूड्रो सरकार भारत खिलाफ आरोप लगाना जारी रखे हुए है। मोदी से अपनी मुलाकात का जो ब्यौरा टूड्रो ने पेश किया है वे भी अप्रत्यक्ष रूप से इसी क्रम है।