जयपुर, 09 अक्टूबर (हि.स.)। राजस्थान में 37 साल पहले सीकर जिले के दिवराला गांव में हुए रूप कंवर सती महिमामंडन कांड में बुधवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया। सती निवारण मामलों की विशेष अदालत ने सीकर के दिवराला में वर्ष 1987 में हुए रूप कंवर सती कांड के बाद घटना की महिमा मंडन के मामले में आठ आरोपिताें को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।
इस मामले में वर्ष 2004 में अदालत से प्रताप सिंह, राजेन्द्र सिंह राठौड़ और रूप कंवर के भाई गोपाल सिंह राठौड़ सहित 25 लोगों को बरी किया जा चुका है। घटना के बाद गिरफ्तार किए गए 32 लोगों को सीकर की कोर्ट अक्टूबर, 1996 में बरी कर चुकी है। अब महेन्द्र सिंह, दशरथ सिंह, श्रवण सिंह, निहाल सिंह, जितेन्द्र सिंह, उदय सिंह, लक्ष्मण सिंह और भंवर सिंह को बरी किया गया है।
दरअसल, जयपुर निवासी रूप कंवर का विवाह दिवराला के मालसिंह के साथ हुआ था। विवाह के करीब सात माह बाद ही मालसिंह की बीमारी से मौत हो गई थी। दाह संस्कार के समय चार सितंबर, 1987 को 18 वर्षीय रूप कंवर की पति की चिता के साथ जलने से मौत हो गई थी। इसके बाद 22 सितंबर, 1988 को समाज के लोगों ने दिवराला से अजीतगढ़ तक जुलूस निकाला, लेकिन बारिश के कारण जुलूस ज्यादा आगे नहीं चल पाया। रात करीब आठ बजे 45 लोगों ने ट्रक में बैठकर जुलूस को फिर से शुरू किया। इसके चलते पुलिस ने इन 45 आरोपिताें को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के महज चार दिन बाद ही पुलिस ने 26 सितंबर को इनके खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने इनमें से 25 लोगों को साल 2004 में बरी कर दिया था। मामले में 11 सितंबर, 2019 को आरोपित लक्ष्मण सिंह ने अदालत में समर्पण किया था। इन 45 लोगों में से करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है और इतने ही फरार चल रहे हैं।