तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य: धीरेन्द्र शास्त्री

—बाबा बागेश्वर धाम सरकार सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए 21 नवम्बर से करेंगे पदयात्रा, गांव—गांव जाकर आम लोगों से मिलेंगे

वाराणसी, 27 सितम्बर (हि.स.)। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने तिरुपति मंदिर में प्रसादम विवाद पर कहा कि प्रसाद में मिलावट देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। प्रसाद में मिलावट महापाप है। देश के सभी मंदिरों के जितने भी आचार्य है, यदि उन्हें शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना है, तो प्रत्येक मठ और मंदिर की अपनी एक गौशाला जरूर होनी चाहिए।

वाराणसी में दो दिन से प्रवास कर रहे बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर शुक्रवार को पत्रकारों से भी मुखातिब हुए। दुर्गाकुंड स्थित माता कुष्मांडा के दरबार, श्री काशी विश्वनाथ दरबार में दर्शन पूजन के बाद बागेश्वर धाम सरकार ने मोक्षतीर्थ मणिकर्णिकाघाट पर भी भ्रमण किया। गलियों में बच्चों और आम लोगों से मिले। इस दौरान उन्होंने बताया कि देश के हिन्दुओं को जगाने के लिए 21 नवंबर से पदयात्रा करेंगे। पदयात्रा में गांव -गांव जाकर पिछड़े और बिछड़े लोगों को गले लगाने का काम करेंगे। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए 21 से 30 नवंबर तक चलने वाली पदयात्रा प्रतिदिन 20 किलोमीटर चलेगी। 21 नवंबर को पदयात्रा की शुरुआत बागेश्वर धाम से होगी। 30 नवंबर को पदयात्रा ओरछा पहुंचकर समाप्त होगी। 160 किलोमीटर की मेरी यह पदयात्रा गांव-गांव पहुंचेगी।

उन्होंने कहा कि अब तक लोग मेरे पास आते थे। बड़े लोग तो मुझे मिल लेते हैं लेकिन छोटे लोग मुझसे मिल नहीं पाते थे। ऐसे में मैं खुद लोगों के बीच गांव—गांव जाकर मुलाकात कर सनातन धर्म को बढ़ावा देने का काम करूंगा। उन्होंने काशी परिक्षेत्र से मांस और मदिरा की दुकानों को बाहर करने की अपील भी की। एक सवाल के जबाब में बागेश्वर धाम सरकार ने काशी से अपना गहरा नाता बताया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के अनुभव को बताते हुए कहा कि बाबा का दर्शन कर जीवन धन्य हुआ। उन्होंने बताया कि गुरुवार की रात ही उन्होंने माता कुष्मांडा का दर्शन किया। मोक्षतीर्थ मणिकर्णिकाघाट पर जाकर भ्रमण किया। उन्होंने बताया कि हमारे दादा गुरु ने यहीं पर देह त्याग किया था। काशी नगरी हमारे रोम रोम में है, काशी नगरी हमारी प्राण है।

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