अशोक सिंघल के मन में वेद के प्रति थी बड़ी श्रद्धा : दिनेश चंद्र

जन तक पहुंचे, इसके लिए वेद विश्वविद्यालय खुलना चाहिए : दिनेश चंद्र

लखनऊ, 25 सितंबर (हि.स.)। हिंदुत्व के पुरोधा युगपुरुष अशोक सिंघल की 98वीं जयंती की पूर्व संध्या पर गोमती नगर के सीएमएस सभागार में काव्यांजलि का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश चंद्र ने कहा कि अशोक सिंघल की वेद के प्रति बड़ी श्रद्धा थी।

वेद सामान्य जन तक पहुंचे, इसके लिए वेद विश्वविद्यालय खुलना चाहिए। वह कहते थे कि वेद विश्वविद्यालय ऐसी जगह बनना चाहिए, जहां दुनिया के किसी भी देश से व्यक्ति आकर आसानी से पहुंच सके। अशोक सिंघल चाहते थे कि काशी में वैदिक शोध केंद्र बने। 4 साल से वैदिक शोध केंद्र काशी में चल रहा है। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व वह चिंतन था।

इस अवसर पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि मेरी मातृभूमि मंदिर उनके जीवन का मिशन था। इस गीत को अशोक सिंघल ने किशोरावस्था में याद किया था। तब से यह गीत उनके जीवन का मिशन बन गया।

मणिरामदास छावनी अयोध्या के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने कहा कि अशोक सिंहल जो मन में ठान लेते थे, उसको पूरा करके ही रुकते थे। राम मंदिर आंदोलन को अशोक सिंघल ने विश्व व्यापी बनाया। राम मंदिर आंदोलन को संतों के साथ-साथ जन-जन से जोड़ने का काम अशोक सिंघल के नेतृत्व में ही हुआ।

राष्ट्रीय

स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक अनिल ने कहा कि

अशोक सिंघल संतों के

प्रति बड़ी श्रद्धा रखते थे। एक बार एक संत सम्मेलन में प्रयागराज में संतों ने

उन्हें संत कहकर मंच पर बुलाया तो उन्होंने कहा कि मैं संतों की पद की धूल हूं।

राष्ट्रीय

कवि हरिओम पवार ने कहा कि मेरी कविताओं मे हिंदुत्व वराष्ट्र का जो भाव प्रवाहित होता है,

उसके पीछे अशोक सिंघल जैसे महान विभूतियों के कारण हुआ है। हरिओम पवार ने कहा कि

मैं अशोक सिंघल से तो व्यक्तिगत रूप से कभी नहीं मिला लेकिन उनका भाषण मैंने कई

बार सुना है।

इस अवसर

पर विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज, प्रान्त प्रचारक कौशल, विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्र संगठन

मंत्री गजेंद्र सिंह, विश्व

हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष कन्हैयालाल नगीना, संघ के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख

मनोजकांत, राज्य

सूचना आयुक्त डॉ. दिलीप अग्निहोत्री, प्रशांत भाटिया प्रमुख रूप से उपस्थित

रहे। कार्यक्रम

का संचालन वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र भदोरिया ने किया। काव्यांजलि में दर्जनों कवियों

ने काव्य पाठ किया।

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