छोटे शहरों के प्रॉपर्टी मार्केट में बूम, गुरुग्राम-नोएडा से आगे निकले रांची, देहरादून और इंदौर जैसे शहर

  • पिछले 10 सालों के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ने शहरी विकास की बदली तस्वीर

नई दिल्ली, 23 सितंबर (हि.स.)। लंबे समय तक सुस्ती का सामना करने के बाद अब छोटे शहर भी रियल एस्टेट मार्केट के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर उभरे हैं। महानगरों और बड़े शहरों की महंगाई और भीड़ भाड़ के कारण रियल एस्टेट के खरीदारों में छोटे शहरों के प्रति रुचि बढ़ी है। इस बात की जानकारी शहरी विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट में दी गई है।

मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक कई छोटे शहरों में प्रॉपर्टी की कीमत नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद जैसे बड़े शहरों को भी पीछे छोड़ चुकी है। छोटे शहर में भी अब फ्लैट, प्लॉट या विला की मांग काफी बढ़ गई है, जिसके कारण इनकी कीमत दिल्ली-एनसीआर की कीमत के स्तर पर पहुंच गई है। बड़े शहरों की भीड़भाड़ और तनाव भरी जिंदगी से बचने के लिए भी लोग छोटे शहरों में रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इस वजह से छोटे शहरों में घरों की मांग तो बढ़ी ही है, लग्जरी लाइफस्टाइल के प्रति भी लोगों में रुझान बढ़ा है। इसी वजह से रियल एस्टेट डेवलपर्स भी बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों में अपना प्रोजेक्ट लॉन्च करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जयपुर, अजमेर, लखनऊ, वृंदावन, फरीदाबाद, लुधियाना, चंडीगढ़, इंदौर, भोपाल, रांची, हल्द्वानी और देहरादून जैसे शहर इन दिनों रियल एस्टेट सेक्टर के लिए नए हॉटस्पॉट बन गए हैं। केंद्र सरकार की नई शहरी विकास नीति की वजह से पिछले 10 सालों के दौरान देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों का काफी तेजी से विकास हुआ है। खासकर, कोरोना संक्रमण काल के बाद इस विकास में काफी तेजी आई है और कई छोटे शहर अब कीमत के मामले में दिल्ली-एनसीआर से टक्कर ले रहे हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि कई राज्यों ने विशेष रूप से छोटे शहरों में इंडस्ट्रियल एरिया, स्पेशल इकोनॉमिक जोन या आईटी पार्क जैसी सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में काफी ध्यान दिया है। इसकी वजह से छोटे शहरों की अर्थव्यवस्था में भी तेजी आई है। इसके साथ ही छोटे शहरों में भी प्रशिक्षित और कुशल कामगारों और प्रबंधकों की मांग बढ़ी है। इन छोटे शहरों में रोजाना के कामकाज के लिए बड़े शहरों की तुलना में ओवरऑल कम खर्च में काम चल जाता है, जिससे लोग अपने घर के करीब रहकर भी अधिक बचत कर पाते हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं स्मार्ट सिटी मिशन और अटल मिशन फॉर रिजूवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (एएमआरयूटी) जैसी योजनाओं के कारण भी छोटे शहरों के बुनियादी विकास में तेजी आई है। इस वजह से भी छोटे शहरों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि छोटे शहरों में बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास होने के साथ ही अब शॉपिंग कॉम्पलेक्स, मॉल, एंटरटेनमेंट सेंटर, स्पोर्ट्स सेंटर, अच्छे और नामी स्कूल और हॉस्पिटल जैसी सुविधा भी विकसित हो रही है। इसके साथ ही हाई-वे के काम में तेजी लाए जाने और एक्सप्रेस-वे के निर्माण की वजह से बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों की कनेक्टिविटी में भी इजाफा हुआ है। छोटे शहरों में तुलनात्मक तौर पर बड़े शहरों की तुलना में प्रदूषण का स्तर भी कम है। इस वजह से भी लोग छोटे शहरों में रहना अधिक पसंद कर रहे हैं।

अपेक्स बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के चेयरमैन सतनाम सिंह सचदेवा का कहना है कि मौजूदा समय में देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों में रियल एस्टेट सेक्टर काफी तेजी से विकास कर रहा है, जिसकी वजह से चंडीगढ़, लुधियाना, इंदौर, वृंदावन, लखनऊ, अजमेर, जयपुर, रांची और गया जैसे शहरों में प्रॉपर्टी की कीमत काफी तेजी से बढ़ रही है। लोगों का रुझान भी इन शहरों की ओर बढ़ा है। इसी वजह से देश के कई प्रमुख बिल्डर अब एक डेवलपर के रूप में महानगरों की तुलना में छोटे शहरों में काम करना अधिक पसंद कर रहे हैं। इन शहरों में रियल एस्टेट सेक्टर के विकास की पूरी संभावना मौजूद है।

इसी तरह आदर्श डेवलपर्स के सीईओ अनिल शर्मा का कहना है कि छोटे शहरों में जमीन और घरों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसकी वजह से अब बड़े डेवलपर्स भी इन छोटे शहरों में अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं। केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से छोटे शहरों के विकास में भी तेजी आई है। कई शहरों में शहरी यातायात के लिए मेट्रो कनेक्टिविटी का काम भी शुरू हो गया है। इसके साथ ही बड़े शहरों में मिलने वाली मॉल और शॉपिंग सेंटर जैसी सुविधा अब छोटे शहरों में भी मिलने लगी है। इस वजह से भी महानगरों की तुलना में छोटे शहरों के प्रति लोगों की रुचि बढ़ी है। इसी कारण छोटे शहरों में भी ऑफिस स्पेस और रेजिडेंशियल कॉलोनियां लगातार डेवलप हो रही हैं, जिससे इन शहरों की तस्वीर भी लगातार बदल रही है।

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