गोपेश्वर, 20 सितम्बर (हि.स.)। चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने वीसी के माध्यम से जिले में लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत अवस्थित मोटर मार्गों की समीक्षा बैठक आयाेजित की। इस बैठक में लोनिवि के सभी डिविजनों से सड़कों पर ब्लैक स्पॉट, दुर्घटना संभावित क्षेत्र, सीएम घोषणा के अंतगर्त निर्माणाधीन सड़काें, वन भूमि हस्तांतरण के लंबित प्रकरण, आपदा से अवरुद्ध सड़कों की स्थिति, और जिला योजना व राज्य सेक्टर में संचालित कार्यों की प्रगति समीक्षा की गई।
जिलाधिकारी ने लोनिवि के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे सड़कों पर आपदा के बाद आवश्यकताओं का आंकलन (पीडीएनए) करते हुए तीन दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट जिला स्तर पर गठित समिति को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। इससे आपादा प्रभावित सड़कों पर सुधार के लिए त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी। उन्हाेंने बरसात के कारण बंद सकड़ाें को तत्काल सुचारू करने और पैचवर्क कार्य शीघ्र पूर्ण करने का निर्देश दिया। साथ ही सभी डिविजनाेंसे रिपोर्ट भी मांगी।
इसके अलावा, उन्हाेंने सीएम घोषणाओं, वन भूमि हस्तांतरण और शासन स्तर पर लंबित मामलों की सूची उपलब्ध कराने के लिए कहा, ताकि समस्याओं का त्वरित समाधान किया जा सके। बजट के अभाव में अधूरी योजनाओं को पूर्ण करने के लिए मिसिंग लिंक फंड में प्रस्ताव देने का निर्देश भी दिया गया।
बैठक में, जिलाधिकारी ने चमोली से गोपेश्वर नगर तक एनएच की खस्ता हालत पर एनएच के अधिकारियों को नाली और झाडियों की सफाई के साथ सड़क को शीघ्र गढड्ा मुक्त करने के निर्देश भी दिए। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जनपद में लोनिवि के अंतर्गत 13 स्टेट हाईवे हैं, जिन पर पर ब्लैक स्पॉट और संवेदनशील स्थलों पर सड़क सुरक्षा के कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। सड़कों पर पैचवर्क का कार्य जारी है।
वर्ष 2026 की राजजात यात्रा काे ध्यान में रखते हुए थराली-देवाल-वाण मोटर मार्ग पर सड़क सुधार और हॉटमिक्स का प्रस्ताव तैयार किया गया है। नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग का चौड़ीकरण एवं सतह मरम्मत का कार्य प्रगति पर है, जबकि धुर्मा-कुंडी मोटर मार्ग और गोपेश्वर-कुजौं मैकोट मोटर मार्गों पर बड़े स्लाइड जाेन का स्थायी उपचार प्रस्तावित है।
वीसी में लोनिवि के अधीक्षण अभियंता राजेश चन्द्रा, अधिशासी अभियंता राजवीर सिंह चौहान, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी सहित लोनिवि के सभी डिवीजनों के अधिशासी अभियंता मौजूद थे।
हिन्दुस्थान समाचार / जगदीश पोखरियाल