कोलकाता, 12 सितंबर (हि.स.)। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने आरजी कर मामले के विरोध में अपने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है। रविवार को उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर इसकी सूचना दी थी और गुरुवार को उन्होंने औपचारिक रूप से राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
जवाहर सरकार ने दिल्ली में धनखड़ के कार्यालय में खुद जाकर अपना इस्तीफा उनके हाथों में दिया। उनके इस्तीफे के बाद राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की संख्या घटकर 12 हो गई है। पश्चिम बंगाल की 16 राज्यसभा सीटों में से अब एक सीट खाली हो गई है। तृणमूल के 12 सांसदों के अलावा, इस राज्य से भाजपा के दो और वामपंथी दल के एक सांसद हैं।
2022 में शिक्षा घोटाले और फिर बाद में गाय तस्करी मामले में पार्टी के नेताओं पार्थ चटर्जी और अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी के बाद, जवाहर सरकार पार्टी के खिलाफ मुखर हो गए थे। उन्होंने पार्टी के एक हिस्से को ‘सड़’ चुका बताया था। जवाहर ने यह भी कहा था कि उनके परिवार और दोस्तों ने उन्हें राजनीति छोड़ने की सलाह दी थी।
रविवार को आरजी कर मामले पर पार्टी के रुख के खिलाफ लिखे अपने पत्र में, जवाहर ने ममता बनर्जी को संबोधित करते हुए कहा था, “माननीय महोदया, कृपया विश्वास करें कि इस समय राज्य के आम लोगों के बीच हम जिस स्वतःस्फूर्त आंदोलन और आक्रोश को देख रहे हैं, इसका मुख्य कारण कुछ चुनिंदा अधिकारियों और भ्रष्ट व्यक्तियों की शक्तिशाली धमक है। अपने इतने वर्षों के जीवन में मैंने कभी सरकार के प्रति इतनी व्यापक अस्वीकृति नहीं देखी।”
जवाहर सरकार ने ममता बनर्जी के उस दावे का भी विरोध किया जिसमें उन्होंने आरजी कर महिला डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के मामले में हो रहे विरोध को वामपंथी और भाजपा का आंदोलन बताया था। जवाहर ने अपने पत्र में लिखा, “मेरा मानना है कि इस आंदोलन में शामिल लोग गैर-राजनीतिक और स्वतःस्फूर्त रूप से विरोध कर रहे हैं। इसलिए राजनीतिक लेबल लगाकर इस आंदोलन को रोकना उचित नहीं होगा। ये लोग राजनीति से दूर हैं और केवल न्याय और सजा की मांग कर रहे हैं।”