-बीरेन सिंह ने केंद्र से मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए कदम उठाने का किया आग्रह
इंफाल, 08 सितंबर (हि.स.)। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य से मुलाकात कर राज्य की कानून व्यवस्थ की स्थिति से अवगत कराया। राज्यपाल ने मणिपुर में कुकी उग्रवादियों के अत्याधुनिक हथियारों, रॉकेट मिसाइलों तथा ड्रोन जैसे शस्त्रों तथा यंत्रों का प्रयाेग कर सामान्य नागरिकों तथा सुरक्षा बलों पर किए जा रहे हमलों का हवाला देते हुए इनके खिलाफ आर-पार की कार्रवाई शुरू करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से यह भी कहा कि केंद्र सरकार चाहे तो भारतीय संविधान की धारा 355 का प्रयोग करके केंद्र सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह अपने हाथ में लेकर नियंत्रित करे।
रविवार काे मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने राजभवन में पहुंच कर राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य से मुलाकात की। राज्यपाल के साथ सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक 45 मिनट तक चली। इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को एक ज्ञापन देकर राज्य की मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति से राज्यपाल को अवगत कराया और कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं। मुख्यमंत्री ने मणिपुर के कुकी उग्रवादी समूहों के साथ किए गए युद्धविराम समझौता (एसओओ) को निरस्त करने की भी मांग की। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से सुरक्षा बलों के बेहतर प्रबंधन और मौजूदा मुद्दों से निपटने के प्रयासों को कारगर बनाने के लिए यूनिफाइड कमांड प्राधिकरण प्रदान करने की आवश्यकता जताई।
दरअसल, कुकी उग्रवादी समूहों के साथ वर्ष 2008 में यह त्रि-पक्षीय समझौता किया गया था। हालांकि, इस समझौते की मियाद चालू वर्ष के फरवरी माह में समाप्त हो चुकी है। सरकार द्वारा इसका फिर से नवीकरण नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अभियान को और अधिक कारगर बनाने के लिए एकल नेतृत्व की आवश्यकता है। समेकित रूप से सुरक्षा बलों के अभियान चलाने के बाद ही स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।
उल्लेखनीय के मणिपुर में लगातार जारी हिंसा के बीच शनिवार को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने सहयोगी दलों तथा पार्टी विधायकों एवं नेताओं को बुलाकर अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपने की घोषणा की थी। बाद में केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने से रोका। मुख्यमंत्री कल से लेकर आज तक कई दौर की बैठकें कर चुके हैं। इन बैठकों में मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की गई है। देखना यह है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अख्तियार करती है।