अनूपपुर : नर्मदा दर्शन से पहले धरहर के गणेश मंदिर में मत्था टेकते हैं श्रद्धालु

अनूपपुर, 7 सितंबर (हि.स.)। जिले के पुष्पराजगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम धरहरकला में स्थापित प्राचीन श्रीगणेश का एकमात्र मंदिर लोगों के लिए गणेशोत्सव पर आस्था का केंद्र बन जाता है। वैसे तो यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है लेकिन गणेश उत्सव के दौरान दूर-दूर से यहां भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद लेने श्रद्धालु पहुंचते हैं। बताया गया कि कल्चुरी कालीन श्री गणेश की यह मूर्ति दक्षिण मुखी है जो प्रतिवर्ष अपना आकार बदलती जा रही है। वर्तमान में प्रतिमा का आकार लगभग 8 फिट बताया जा रहा है। पूर्व में यह मूर्ति खुले स्थान में थी पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं ने मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर में नियमित रूप से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि जब उन्होंने यहां पूजा अर्चना करने के लिए आना शुरू किया था तब मंदिर में रखी गणेश जी की मूर्ति का आकार कम था लेकिन धीरे-धीरे इसका आकार बढ़ता जा रहा है।

इतिहास

जिले के राजेन्द्रग्राम के बाद अमरकंटक मार्ग में पुष्पराजगढ़ तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूरी पर मुख्य मार्ग में धरहर कला गांव है। सड़क के दाईं दिशा की ओर पहाड़ी है जहां के घने जंगल के नीचे यह प्राचीन गणेश मंदिर स्थापित है। यहां की गणेश मूर्ति हजारों साल पुरानी है। पूर्व में यह मूर्ति यहां के जंगल में खुले आसमान के नीचे स्थापित थी फिर गांव के लोगों और भक्तों ने मिलकर मूर्ति के सुरक्षा हेतु एक मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर के आस-पास कल्चुरी कालीन शंकर, ब्रम्हा, विष्णु जी की प्रचीन मूर्तियां हैं। गणेश मंदिर के पूर्व तरपᆬ गौरी कुंड है जहां 12 महीने शीतल जल मौजूद रहता है। गौरी कुंड के समीप शिव-पार्वती जी प्रतिमा स्थापित है।

मान्यरता: मां नर्मदा पूजन का फल तभी मिलता हैं जब भगवान गणेश दर्शन करें

ऐसा कहा जाता है कि अमरकंटक में मां नर्मदा की पूजा करने का फल भक्तों को तभी मिलता है जब धरहर के सिद्घ श्री गणेश आश्रम में जाकर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश उत्सव में इस स्वयंभू गणेश प्रतिमा की पूजा अर्चना करने प्रतिदिन भक्त पहुंच रहे हैं। यहां गणेश जी की पूजा अराधना करने आने वाले भक्त कभी निराश नहीं हुए हैं। कल्चुरी कालीन श्री गणेश की यह मूर्ति दक्षिण मुखी है जो प्रतिवर्ष अपना आकार बढ़ाती जा रही है। यह जिले की एक मात्र गणेश मंदिर है जो लोगों के आस्था का केन्द्र है।

मंदिर में हैं ब्रह्मा, विष्णु व महेश की प्राचीन मूर्तियां

मंदिर के आस-पास कल्चुरी कालीन शंकर, ब्रहा, विष्णु जी की प्रचीन मूर्तियां भी स्थापित हैं। गणेश मंदिर के पूर्व तरफ गौरी कुंड है जहां 12 महीने शीतल जल मौजूद रहता है। गौरी कुंड के समीप ही शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित है। पुरातत्व विभाग अब इस मंदिर की धरोहर को बचाने में जुटी है तथा मंदिर को भव्य बनाने का प्रयास कर रही है।

घने जंगल के बीच एकांत में स्थित है गजानन का मंदिर

ग्राम धरहर कला में घने जंगलों के बीच एकांत में यह मंदिर स्थित है जो कि प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। अमरकंटक मां नर्मदा के दर्शन करने के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालु सबसे पहले धरहर गणेश मंदिर पहुंचकर प्रथम पूज्य भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं इसके बाद ही यहां से अमरकंटक के लिए रवाना होते हैं।

सबके आस्था का केन्द्र

प्रतिवर्ष बसंत पंचमी पर यहां मेला लगता है। यह क्षेत्रीय ग्रामीणों के आस्था का केन्द्र हैं। यहां मनोरम हरियाली का वातावरण रहता है। नैसर्गिक सौन्दर्य देख यहां आने वाला अभिभूत हो जाता है। अमरकंटक जाने वाले लोग इस मंदिर की जानकारी होने पर मुख्य रूप से दर्शन के लिए पहुंचते हैं। गणेश जी का दर्शन कर लोग यहां आकर भगवान की महिमा भी देखते हैं। ऐसी मान्यता है कि गौरी नंदन गणेश जी से लोगों को खाली हाथ नहीं लौटना पड़ा है। कई भक्त यहां अक्सर आते हैं। इस गणेश पूजा में दूर-दराज से लोग पूजा आराधना करने आ रहे हैं।

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